
नई दिल्ली, 4 जून : समुद्र में पर्यावरणीय आपदाओं के खिलाफ देश की अग्रिम पंक्ति के रूप में कार्य करने वाले भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। इस अवसर पर ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ थीम के तहत समुद्र तटों को कचरा मुक्त करने का अभियान चलाया।
आईसीजी पर्यावरण संरक्षण मुहिम के तहत ना सिर्फ समुद्र में तेल रिसाव, रासायनिक खतरों और समुद्री प्रदूषण की घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया करता है। बल्कि विशेष प्रदूषण नियंत्रण जहाजों (समुद्र प्रहरी, समुद्र पहरेदार और समुद्र पावक से लैस) होकर प्रदूषकों को अपरिवर्तनीय पारिस्थितिक क्षति का कारण बनने से रोकता है। साथ ही उन्हें बेअसर करने के लिए टियर-I शमन रणनीतियों को तैनात करता है।
आईसीजी ने नागरिकों से प्लास्टिक की खपत कम करने, पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में भाग लेने और महासागरों के संरक्षक बनने का आग्रह किया है। चूंकि हमारे ग्रह का स्वास्थ्य हमारे समुद्रों के स्वास्थ्य से शुरू होता है। प्रदूषण नियंत्रण से आगे बढ़कर, आईसीजी समुद्री जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ‘ऑपरेशन ओलिविया’ के तहत वर्ष 2025 में ओडिशा तट पर 6.98 लाख से अधिक ऑलिव रिडले कछुओं के घोंसलों की सुरक्षा की गई, जिन्हें अवैध मछली पकड़ने वाले लोगों और ‘घोस्ट नेट्स’ से खतरा था। बीते 58 वर्षों में आईसीजी ने ‘स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर’, ‘पुनीत सागर अभियान’ और ‘मिशन लाइफ’ जैसे अभियानों के जरिए 11,000 किलोमीटर से अधिक लंबी विस्तृत तटरेखा या समुद्र तटों से करीब 194 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा हटाया है।
वहीं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में आईसीजी की इकाइयां अवैध शिकार और प्रतिबंधित समुद्री जीवों जैसे सी-ककुंबर, प्रवाल और जायंट क्लैम्स की तस्करी को रोकने के लिए सक्रिय अभियान चलाती हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आईसीजी ने नागरिकों से अपील की है कि वे प्लास्टिक के उपयोग को कम करें, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें।
प्लास्टिक प्रदूषण क्या है?
प्लास्टिक प्रदूषण का मतलब है प्लास्टिक कचरे का पर्यावरण में फैलना, जो पानी, जमीन और हवा को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक एक गैर-जैव विघटित पदार्थ है, जिसका मतलब है कि यह आसानी से नहीं सड़ता, और यह लंबे समय तक पर्यावरण में बना रहता है। प्लास्टिक कचरा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है।