
नई दिल्ली, 1 अप्रैल: फोर्टिस अस्पताल में इलाज के दौरान ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने मृतका के अंगदान करके एक मिसाल कायम की है। इस अंगदान से जहां तीन अनजान लोगों को जीवनदान मिला है। वहीं, समाज को अंगदान के प्रति जागरूक करने संबंधी प्रयासों में मजबूती आई है।
दरअसल, सड़क दुर्घटना में घायल 46 वर्षीय महिला को 19 मार्च को काफी गंभीर हालत में फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग में भर्ती कराया गया था जिसे सर्वोत्तम उपचार देने के बावजूद बचाया नहीं जा सका। बीते 27 मार्च को डॉक्टरों की टीम से उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। अपार दुःख और संताप की स्थति से गुजरने के बावजूद, महिला के परिवार के सदस्यों ने गुर्दे, फेफड़े और लिवर जैसे अंगों को दान करने का फैसला किया, जिससे कई लोगों की जिंदगी में उजाला हो गया।
न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ राकेश दुआ ने कहा, इस मर्मस्पर्शी मामले ने यह साबित किया है कि किस तरह से गहरे दुःख की घड़ी में भी कुछ लोगों के पास इतनी ताकत होती है कि वे जिंदगी के उस पार जाकर भी अपनी विरासत पीछे छोड़ जाते हैं।डॉ पंकज कुमार ने कहा, गंभीर रूप से बीमार रोगी के लिए उत्कृष्ट मेडिकल कौशलों की ही आवश्यकता नहीं होती बल्कि मरीजों और उनके परिजनों की इच्छा का सम्मान करना भी जरूरी होता है। इस अंगदान ने नए जीवनदान की संभावनाओं को प्रदर्शित किया है।
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