
नई दिल्ली, 20 जनवरी: अगर आपको या आपके बच्चे को किसी अज्ञात कारण से छाले या फफोले हो जाते हैं। हल्का दबाव या हल्की खरोंच लगने से भी त्वचा उतर जाती है, छिल जाती है तो नजदीकी अस्पताल में जाएं और स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें। यह दुर्लभ त्वचा रोग एपिडर्मोलिसिस बुलोसा (ईबी) के लक्षण हो सकते हैं जो पीड़ित के लिए गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं।
एम्स दिल्ली के त्वचा रोग विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ नीतू भारी ने बताया कि एपिडर्मोलिसिस बुलोसा ( ईबी ) एक दुर्लभ स्थिति है जो नाजुक, फफोले वाली त्वचा का कारण बनती है। ये छाले मामूली चोट, यहां तक कि गर्मी, रगड़ या खरोंच से भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों में छाले शरीर के अंदर हो सकते हैं जैसे मुंह या पेट की परत में। ईबी वंशानुगत होता है और यह आमतौर पर शिशुओं या छोटे बच्चों में दिखाई देता है। कुछ लोगों में किशोरावस्था तक इसके लक्षण विकसित नहीं होते हैं। हालांकि, ईबी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उम्र के साथ हल्के रूप में सुधार हो सकता है। उपचार में छालों की देखभाल और नए छालों को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
डॉ नीतू ने बताया कि ईबी वंशानुगत जीन के कारण होता है। जो शिशु को अपने माता या पिता से या दोनों से विरासत में मिल सकता है, जिन्हें यह रोग है। उन्होंने बताया कि ईबी संबंधी कुछ मामलों में प्रसव के दौरान नवजात शिशु की त्वचा छिलने की समस्या सामने आती है। जिससे शिशु के शरीर में घाव हो जाते हैं। डॉ नीतू के मुताबिक ईबी गर्मी और घर्षण के कारण होता है और त्वचा की बाहरी परत में विकसित होता है। इसके चलते हाथ व पैरों की उंगलियां आपस में चिपकने लगती है और जोड़ों में बदलाव आ जाता है। बच्चों को पढ़ने -लिखने में दिक्कत के साथ उंगलियों, घुटनों और कोहनी के काम पर असर पड़ता है।
ठीक हो जाते हैं त्वचा रोग
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नेहा तनेजा ने कहा कि समाज में एक मिथक है कि त्वचा रोग और जोड़ों के दर्द कभी ठीक नहीं होते, यह पूर्णतया गलत है। डॉ तनेजा ने कहा, त्वचा रोग कभी- कभी ठीक होने में ज्यादा समय ले लेते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में नियमित इलाज से जल्दी ठीक हो जाते हैं।
कैसे करें बचाव ?
जिस परिवार में ईबी विकार का इतिहास है, वहां ऐसे बच्चों के जन्म लेने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में उन्हें मेडिकल काउंसलिंग, स्क्रीनिंग और प्री नेटल टेस्ट कराना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान जांच परिणाम पॉजिटिव आने पर प्री नेटल ट्रीटमेंट शुरू करना चाहिए ताकि दुनिया में आने वाले बच्चे में दुर्लभ रोग की रोकथाम की जा सके।
कैसे करें देखभाल ?
ईबी से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ उपाय अपनाकर उन्हें फफोले और संक्रमण से बचाने में मदद मिल सकती है। ऐसे बच्चे को दुलार की जरूरत होती है, लेकिन बहुत ही धीरे से। ईबी से पीड़ित बच्चे को गोद में उठाने से पहले नरम कपड़े पर लिटाएं। बच्चे के नितंबों के नीचे व गर्दन के पीछे सहारा दें और फिर कपड़े की मदद से उठाएं। बच्चे को बाहों के नीचे से न उठाएं। डायपर वाले हिस्से का खास ख्याल रखें। अगर आपका बच्चा डायपर पहनता है, तो इलास्टिक बैंड हटा दें और क्लींजिंग वाइप्स का इस्तेमाल करने से बचें। खरोंच से बचें। बच्चे के नाखूनों को नियमित रूप से काटें। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसे ऐसी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें जो त्वचा की चोट के जोखिम को कम करती हैं। तैराकी एक अच्छा विकल्प है।
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