
नई दिल्ली, 18 अक्तूबर : अगर आप अत्यधिक वजन या मोटापे की समस्या से परेशान हैं या फिर टाइप 2 मधुमेह से छुटकारा पाना चाहते हैं तो बैरिएट्रिक सर्जरी आपकी समस्या का निराकरण करने में मददगार साबित हो सकती है। यह एक बेहद सटीक वैज्ञानिक सुविधा है जिसका उद्घाटन सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना तलवार ने शुक्रवार को किया।
इस अवसर पर सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राज कुमार चेजारा ने कहा कि शरीर की अतिरिक्त चर्बी, मुख्य रूप से पेट की चर्बी, हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया और पेट के अन्य रोगों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं और उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को जन्म दे सकते हैं। लेकिन वजन घटाने का सुरक्षित और प्रभावी इलाज, इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। संबंध में लोग अक्सर अपने आहार में बदलाव से लेकर निरंतर व्यायाम और वजन कम करने की दवा तक का सेवन करते हैं। मगर उचित लाभ नहीं मिलने के चलते निराश हो जाते हैं। ऐसे ही लोगों की सुविधा के लिए ‘बैरिएट्रिक और मेटाबोलिक क्लीनिक’ शुरू किया गया है जिसमें कई प्रकार की सर्जरी उपलब्ध हैं।
डॉ चेजारा ने कहा कि सर्जरी के लिए मॉर्बिड ओबेसिटी यानी क्लास 3 ओबेसिटी से पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का बॉडी मॉस इंडेक्स (बीएमआई) 35 या उससे ज्यादा होता है। इस स्थिति में कोई अलग लक्षण नहीं दिखता, सिर्फ शरीर का बीएमआई बढ़ जाता है। इसके लिए व्यक्ति की गैस्ट्रिक बाईपास या रूक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी की जाती है। इसमें व्यक्ति के पेट से एक छोटी थैली बनाई जाती है और नई बनी थैली को सीधे छोटी आंत से जोड़ा जाता है। गैस्ट्रिक बाईपास के बाद, निगला हुआ भोजन पेट की इस छोटी थैली में जाता है और फिर सीधे छोटी आंत में जाता है, जिससे व्यक्ति के पेट का अधिकांश हिस्सा और उसकी छोटी आंत का पहला भाग बाईपास हो जाता है। इससे व्यक्ति कम खाना खाकर भी तृप्त हो जाता है और वजन कम करने में मदद मिलती है।
कब हो सकती है सर्जरी
अगर व्यक्ति का बीएमआई 35 से 39.9 (मोटापा) है, और उसे वजन से संबंधित कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जैसे कि टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप या गंभीर स्लीप एपनिया। तब वह वजन घटाने वाली बैरिएट्रिक सर्जरी के लिए योग्य हो सकते हैं। यह उन सभी लोगों के लिए नहीं है जो बहुत ज्यादा वजन वाले हैं। वजन घटाने की सर्जरी के लिए योग्य होने के लिए व्यक्ति को कुछ मेडिकल दिशा-निर्देशों को पूरा करना पड़ सकता है। उन्हें एक व्यापक स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए स्थायी बदलाव करने पड़ते हैं। साथ ही लंबे समय तक अपने पोषण, जीवनशैली, व्यवहार और चिकित्सा स्थितियों की चिकित्सकीय निगरानी करनी पड़ती है।