Himachal Pradesh: सरकारी भवनों की बिजली डिमांड घटाकर हिमाचल सरकार ने बचाए सालाना 6.72 करोड़ रुपये

Himachal Pradesh: सरकारी भवनों की बिजली डिमांड घटाकर हिमाचल सरकार ने बचाए सालाना 6.72 करोड़ रुपये
शिमला, हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक बड़ी ऊर्जा-बचत और वित्तीय सुधार पहल के तहत राज्यभर के सरकारी भवनों की विद्युत कॉन्ट्रैक्ट डिमांड (लोड क्षमता) को तर्कसंगत बनाकर सालाना लगभग 6.72 करोड़ रुपये की बचत सुनिश्चित की है। यह पहल मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देश पर शुरू की गई थी, जिसके पहले चरण में 913 सरकारी विद्युत कनेक्शनों का युक्तिकरण पूरा किया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि अब तक कृषि, थोक आपूर्ति, वाणिज्यिक, जल शक्ति, औद्योगिक, गैर-घरेलू गैर-वाणिज्यिक, लघु औद्योगिक और अस्थायी आपूर्ति जैसी श्रेणियों में आने वाले सरकारी उपभोक्ताओं के कनेक्शनों की समीक्षा की गई है। इस प्रक्रिया से कुल मांग शुल्क 2.05 करोड़ रुपये प्रति माह से घटकर 1.49 करोड़ रुपये प्रति माह रह गया है। इससे न केवल वित्तीय बचत होगी बल्कि ऊर्जा संसाधनों के अधिक कुशल उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।
शिमला स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल इस सुधार का प्रमुख उदाहरण है, जहां कॉन्ट्रैक्ट डिमांड 1350 केवीए से घटाकर 858 केवीए कर दी गई। इस कदम से अस्पताल को सालाना करीब 24 लाख रुपये की सीधी बचत हो रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने अवलोकन किया था कि कई विभाग अपनी वास्तविक बिजली खपत से कहीं अधिक कॉन्ट्रैक्ट डिमांड के अनुसार शुल्क अदा कर रहे थे। उनके निर्देश पर हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) ने सरकारी भवनों की वास्तविक लोड कैपेसिटी का आकलन करते हुए कॉन्ट्रैक्ट डिमांड को पुनः संरेखित करने की पहल शुरू की।
यह प्रक्रिया, जो सामान्यतः विद्युत उपमंडल स्तर पर होती है, मुख्यमंत्री के विशेष निर्देशों पर तत्कालीन मुख्य सचिव की देखरेख में तेज गति से आगे बढ़ाई गई। एचपीएसईबीएल और विभागीय प्रतिनिधियों के बीच कई बैठकों के बाद मुख्य विद्युत निरीक्षक के समन्वय में राज्यव्यापी समीक्षा की गई। इसके तहत सभी सरकारी उपभोक्ताओं की सूची तैयार कर प्रत्येक कनेक्शन के लिए अधिकतम दर्ज मांग के आधार पर नई सीमा निर्धारित की गई, जिसमें गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों की चरम खपत को ध्यान में रखा गया।
सभी कनेक्शनों के लिए औसतन सीमा पिछले वर्ष की अधिकतम खपत से 10 प्रतिशत अधिक तय की गई। इसके बाद सरकारी और एचपीएसईबीएल अधिकारियों ने एक विशेष एप्लीकेशन और एग्रीमेंट फॉर्म तैयार कर लागू किया, जिससे बोर्ड की आईटी शाखा ने नई सीमा को सटीक रूप से अपडेट किया।
यह सुधार जून 2025 में अंतिम रूप से स्वीकृत हुआ और अगस्त 2025 तक राज्य सरकार ने केवल एक माह में 56 लाख रुपये की सीधी बचत दर्ज की। यह बचत अब हर महीने नियमित रूप से होती रहेगी, जिससे सालाना 6.72 करोड़ रुपये की कुल बचत होगी।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम “वित्तीय अनुशासन और दक्ष ऊर्जा प्रबंधन” की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में सरकार अन्य विभागों और सार्वजनिक परिसंपत्तियों में भी इसी तरह के युक्तिकरण अभियान शुरू करेगी, ताकि अनावश्यक व्यय को नियंत्रित कर राजकोषीय मजबूती सुनिश्चित की जा सके।al latest update





