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नई दिल्ली: महिलाओं में पाया जाने वाला हर तीसरा कैंसर ब्रेस्ट कैंसर 

नई दिल्ली: -देश में वृहद् स्तर पर कैंसर स्क्रीनिंग अभियान चलाए जाने की जरुरत

नई दिल्ली, 26 अक्तूबर : देश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले जहां सालाना 2 लाख की दर से लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं ब्रेस्ट कैंसर संबंधी लक्षणों के प्रति लापरवाही और उचित समय पर रोग की पहचान न होने के कारण करीब 70 हजार महिलाओं को प्रतिवर्ष अपनी जान गंवानी पड़ रही हैं। असमय होने वाली मौतों को व्यापक स्तर पर कैंसर स्क्रीनिंग और जन- जागरूकता अभियान के जरिये रोका जा सकता है

एम्स दिल्ली के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉक्टर अतुल बत्रा ने बताया कि देश में सभी तरह के कैंसर के सालाना 14 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं जिनमें स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और डिम्बग्रंथि (अंडाशय) कैंसर जैसे महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर भी शामिल हैं। यानी महिलाओं में पाया जाने वाला हर तीसरा कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा है। डॉ. बत्रा के मुताबिक कैंसर के मामले बढ़ने के पीछे पोषक तत्वों की कमी वाले आहार का सेवन, तंबाकू पर निर्भरता और एक गतिहीन जीवनशैली जीने के साथ पर्यावरणीय समस्याएं प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अलावा बीआरसीए 1 और बीआरसीए 2 जीन की वंशागति से भी ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सर्जरी विभाग की डॉक्टर सुहानी ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर को उचित समय पर डिटेक्ट करके ठीक किया जा सकता है। इसका पता लगाने के लिए बायोप्सी व अन्य मेडिकल परीक्षण कराए जा सकते हैं। इसे महिलाएं स्व निरीक्षण के जरिये खुद भी पहचान सकती हैं। आजकल, यही रोग महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। डॉ. सुहानी ने कहा, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में वृहद स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं जिसके चलते महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर फर्स्ट स्टेज या सेकंड स्टेज पर ही डिटेक्ट हो जाता है।

उन्होंने कहा, भारत में भी ऐसे कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों की जरुरत है ताकि प्रथम चरण में कैंसर की पहचान हो सके और कैंसर ग्रस्त महिलाओं का उपचार तुरंत शुरू किया सके। अगर भारत की बात करें तो यहां जागरूकता के अभाव में अधिकांश महिलाएं थर्ड या फोर्थ स्टेज के कैंसर से पीड़ित होने के बाद ही अस्पताल पहुंचती हैं। डॉ. सुहानी के मुताबिक 20 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को हर महीने अपने स्तनों का स्व निरीक्षण करना चाहिए ताकि गांठ, रिसाव या अन्य लक्षण हो तो तुरंत इलाज शुरू करवा सकें। वहीं, 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को प्रत्येक दो वर्ष बाद और 50 से 60 वर्ष की महिलाओं को प्रति वर्ष मैमोग्राफी टेस्ट कराना चाहिए।

फैमिली में कैंसर हिस्ट्री यानी ज्यादा खतरा
अगर किसी महिला के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री (ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित दादी, नानी, बुआ, मौसी) है तो उस महिला को कैंसर होने का खतरा ज्यादा है। उसे नियमित रूप से मेडिकल परीक्षण कराने चाहिए। पहले और दूसरे चरण में कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से कैंसर की गांठ को नष्ट किया जा सकता है लेकिन लास्ट स्टेज यानी चौथा चरण, जिसे मेटास्टैटिक या टर्मिनल ब्रेस्ट कैंसर भी कहा जाता है। इस चरण में, कैंसर कोशिकाएं स्तन से परे शरीर के अन्य अंगों, जैसे हड्डियों, फेफड़ों, लिवर या मस्तिष्क में फैल चुकी होती हैं। यह कैंसर का एक उन्नत और गंभीर रूप है जिसमें उपचार करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

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