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उत्तर प्रदेश, नोएडा: नए नोएडा के लिए मुआवजा की दरें एक साल बाद भी तय नहीं

उत्तर प्रदेश, नोएडा: नए नोएडा के लिए मुआवजा की दरें एक साल बाद भी तय नहीं

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।दादरी और बुलंदशहर के 80 गांवों की जमीन पर बनने वाले नए नोएडा के मास्टर प्लान को शासन से मंजूर हुए एक साल हो गया। इसके बावजूद प्राधिकरण और जिला प्रशासन के अफसर जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजा दरें तय नहीं कर सके। इससे जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। दूसरी ओर, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तो शुरू नहीं हुई पर संबंधित गांवों में सरकारी जमीनों पर कॉलोनियां काटने का काम तेजी से चल रहा है। दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंवेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) के रूप में विकसित किया जाएगा। इसको नए नोएडा के नाम से जाना जाएगा। पिछले साल 18 अक्तूबर को शासन ने नए नोएडा के मास्टर प्लान-2041 को मंजूरी दे दी थी।

शासन की मंजूरी के बाद नोएडा प्राधिकरण ने इसका प्रकाशन करवा दिया। प्रकाशन एक तरह से सार्वजनिक सूचना होती है। उस समय अधिकारियों ने दावा किया था कि जनवरी-फरवरी 2025 तक मुआवजा दरें तय कर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की शुरू कर दी जाएगी। मास्टर प्लान मंजूर होने के बाद नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ लोकेश एम सहित प्राधिकरण के कई अफसर संबंधित गांवों में जायजा लेने भी गए। जमीन अधिग्रहण होने के बाद ले आउट प्लान तैयार किया जाएगा। यह काम प्राधिकरण का नियोजन विभाग करेगा। नया नोएडा 209.11 वर्ग किमी में यानी 20 हजार 911.29 हेक्टेयर में बसाया जाएगा। इसके लिए 80 गांवों की जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। इस मास्टर प्लान को चार फेज में पूरा किया जाएगा। यह मास्टर प्लान एसपीए (स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट) दिल्ली ने बनाया है। ये शहर वेस्ट यूपी का ग्रोथ इंजन होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-27 तक इसके 3165 हेक्टेयर को विकसित किया जाएगा। इसी तरह 2027 से 2032 तक 3798 हेक्टेयर एरिया को विकसित किया जाएगा। इसके बाद 2032-37 तक 5908 हेक्टेयर और अंत में 2037-41 तक 8230 हेक्टेयर जमीन को विकसित करने का प्लान है। खास बात यह है कि प्राधिकरण के अधिकारियों ने नए नोएडा को बसाने की शुरुआत नहीं की हो, लेकिन वहां कॉलोनाइजरों ने डेरा डाल दिया है। जमीनों पर कॉलोनियां काटी जा रही हैं। जमीनों के रेट तेजी से बढ़ रहे हैं। गांवों में भी खाली जमीन पर किसान रातों-रात निर्माण कर रहे हैं। ———- विशेष निवेश क्षेत्र के रूप में बसाया जाना है यह विशेष निवेश क्षेत्र के रूप में विकसित होगा इसके लिए केंद्र विंदु में औद्योगिक की संभावनाओं को ही रखा गया है। औद्योगिक ईकाईयां आएंगी तो उनमें काम करने वाले लोगों को रहने की जरूरत होगी यह देखते हुए आवासीय भू-उपयोग व आबादी की जरूरतो को पूरा करने के लिए भी वाणिज्यिक भूउपयोग चिन्हित किया गया है। अगर पूरे क्षेत्रफल में प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 41 प्रतिशत में औद्योगिक, 18 प्रतिशत आवासीय, 17 प्रतिशत ग्रीनरी और रिएक्शनल, 15.5 प्रतिशत में सड़क, 9 प्रतिशत इंस्टीट्यूशनल और 4.5 प्रतिशत स्थान वाणिज्यक के लिए चिन्हित किया गया है। —————- कार्यालय भी नहीं खुल सका, कर्मचारी भी नहीं मिले शासन से प्राधिकरण के अधिकारियों ने संबंधित गांवों में जाकर अस्थाई कार्यालय के लिए जमीन देखी थी। ईस्टर्न पेरिफेरल के पास जहां वह सिंक्रदाबाद की तरफ निकलता है, वहां पर कार्यालय खोला जाना था लेकिन अभी तक यह भी नहीं खुल सका है। यही नहीं प्राधिकरण ने शासन से जमीन अधिग्रहण के लिए भूलेख व नियोजन विभाग से संबंधित तहसीलदार, नायाब तहसीलदार, लेखपाल आदि कर्मचारी मांगे थे, जो अभी तक नही मिले है। ————- जमीन अधिग्रहण के लिए एक हजार करोड़ रिजर्व पिछले साल हुई प्राधिकरण की 213 वीं बोर्ड में करीब 1 हजार करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण के रिजर्व किए गए थे। जिनका पूरे वित्त वर्ष में उपयोग नहीं हो सका। अधिकारियों ने बताया कि यह पैसा पहले फेज में जमीन अधिग्रहण के लिए रिजर्व किया गया है लेकिन जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण इस धनराशि का अभी तक उपयोग शुरू नहीं हो सका है। —————— एसपीए ने बनाया था मास्टर प्लान प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि नए नोएडा का मास्टर प्लान एसपीए (स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट) दिल्ली ने बनाया था। यह प्लान करीब ढाई साल पहले पहले बनकर तैयार हो गया था। ————– नए नोएडा के लिए जमीन अधिग्रहण को जल्द मुआवजा दरें तय करने की तैयारी है। जल्द जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर मुआवजा दरों को अंतिम रूप दिया जाएगा। कृष्णा करूणेश, एसीईओ, नोएडा प्राधिकरण

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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