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नई दिल्ली: प्राचीन ज्ञान व आधुनिक तकनीक के बीच संतुलन बनाने के लिए ‘आईटी’ अनिवार्य

नई दिल्ली: -राजेश कोटेचा ने कहा, आयुष क्षेत्र में आईटी समाधानों को एकीकृत करने की जरुरत

नई दिल्ली, 18 सितम्बर : प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक के बीच संतुलन बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों और प्लेटफार्मों को अपनाना अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि अनिवार्य है। यह आयुष सेवाओं की पहुंच, वहनीयता और सेवा वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है। यह बातें आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने ‘आयुष क्षेत्र में आईटी समाधान’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में वीरवार को कही।

वैद्य कोटेचा ने आयुष ग्रिड और नए डिजिटल पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया, जिन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और दोहराव से बचने के लिए सॉफ्टवेयर का मानकीकरण करने के लिए डिजाइन किया गया है। ताकि देश भर में आधुनिक आयुष सेवाओं तक समान पहुंच को सुनिश्चित किया जा सके। कार्यशाला में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 91 प्रतिनिधियों के साथ वरिष्ठ अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं सहित 155 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। यह कार्यशाला नई दिल्ली में आयोजित आयुष विभागीय शिखर सम्मेलन 2025 की प्राथमिकताओं के अनुरूप आयोजित की गई थी।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और नवोन्मेषों का आदान-प्रदान करना, रोगी देखभाल, निगरानी, मानव संसाधन और डेटा प्रबंधन तथा वित्तीय ट्रैकिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार-विमर्श करना है। इस अवसर पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज, आयुष मंत्रालय के निदेशक डॉ. सुबोध कुमार, संयुक्त सचिव कविता जैन, केरल सरकार के राज्य मिशन निदेशक डॉ. डी. साजिथ बाबू, अपर मुख्य सचिव राजन एन. खोबरागड़े आदि मौजूद रहे।

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