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उत्तर प्रदेश, नोएडा: बच्चों का अगरिया जाति प्रमाणपत्र बनवाने में घिसी चप्पलें, नतीजा सिफर

उत्तर प्रदेश, नोएडा: बच्चों का अगरिया जाति प्रमाणपत्र बनवाने में घिसी चप्पलें, नतीजा सिफर

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा। अपने बच्चों का अगरिया जाति का प्रमाणपत्र बनवाने के चक्कर में पिछले 12 सालों से कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा-लगाकर उनकी चप्पलें तक घिस गईं, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। बात हो रही है जिले के कानीगढ़ी निवासी शख्स की, जो लंबे समय से जेवर तहसील व कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन जाति प्रमाणपत्र अब तक नहीं बना है। अब पीड़ित ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
जेवर तहसील के मीरपुर कच्छ उर्फ कानी गढ़ी निवासी सुंदर सिंह ने जिलाधिकारी के नाम लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि वह, उसके पिता गोपाल सिंह और दादा मंगल सिंह को जेवर तहसील से अगरिया जाति में होने के चलते अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी किया गया था। गांव के अन्य लोगों को भी तहसील से प्रमाण-पत्र मिला हुआ है। इससे उनको अनुसूचित जाति के लिए चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। सुंदर सिंह ने अपने बच्चों का प्रमाण-पत्र बनाने के लिए जेवर तहसील में आवेदन किया था। इसके लिए वह 12 साल से जेवर तहसील और कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैं।

कई बार शिकायत के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 23 सितंबर 2024 को एक बैठक हुई थी। इसमें डीएम ने तहसीलदार को निर्देश दिया कि निर्धारित बिंदुओं पर 30 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट दें। लेकिन, आठ माह बाद भी तहसीलदार की रिपोर्ट नहीं आई और न ही उन्होंने पीड़ित के साथ बैठक की। 26 जून 2025 को फिर से बैठक रखी गई। तब भी जेवर तहसीलदार ने रिपोर्ट पेश नहीं की। अधिकारियों ने उन्हें 15 जुलाई 2025 को रिपोर्ट लेकर उपस्थिति होने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस आदेश का भी पालन नहीं किया गया। इस वजह से उनके बच्चों को जाति प्रमाण-पत्र नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अगरिया जाति के लोग यहां पर निवास नहीं करते है। इसके चलते उनको जाति प्रमाणपत्र नहीं मिल सकता।

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