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नई दिल्ली: मोटर न्यूरॉन रोग से पीड़ित व्यक्ति हो सकता है दिव्यांग : AIIMS 

नई दिल्ली: -एम्स ने शुरू किया एएलएस-एमएनडी जागरूकता अभियान

नई दिल्ली, 22 जून : देश में न्यूरोलॉजिकल विकारों में वृद्धि के मद्देनजर एम्स दिल्ली ने एएलएस-एमएनडी के प्रति जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। यह एक ऐसा रोग है जो व्यक्ति की नसों को कमजोर कर देता है जिसके चलते हाथ, पैर, दिमाग और फेफड़े आदि काम करना बंद कर देते हैं। नतीजतन मरीज वेंटिलेटर पर आ जाता है।

एम्स दिल्ली के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर विष्णु वी. वाई. ने बताया कि एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस)- मोटर न्यूरॉन रोग (एमएनडी) एक दुर्लभ और गंभीर न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है। जो पश्चिमी देशों में 60-70 वर्ष की उम्र में और भारत देश में 50 वर्ष की उम्र में ही व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है। कई बार 20 से 30 वर्ष के मरीज भी सामने आते हैं। यह मस्तिष्क और रीढ़ की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाता है। जिसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन कुछ दवाओं की मदद से इसके प्रसार को धीमा किया जा सकता है। ताकि रोगी कई वर्षों तक जीवित रह सकें। यह रोग, व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा को कम करता है और अंततः मृत्यु का कारण बनता है।

स्टीफन हॉकिंग भी थे एमएनडी से पीड़ित
डॉ. विष्णु ने कहा, ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत के लिए मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग (1942-2018) भी इस बीमारी से पीड़ित थे और उन्हें 21 वर्ष की उम्र में बीमारी का पता लगा और 76 वर्ष तक जीवित रहे। उन्होंने मोटर न्यूरॉन रोग से जूझते हुए भी काम किया। एमएनडी के कारण वे व्हीलचेयर में रहने और कृत्रिम आवाज के माध्यम से संवाद करने के लिए मजबूर थे। यानि एएलएस-एमएनडी से पीड़ित मरीज की उचित देखभाल और चिकित्सा की जाए तो वह दीर्घ जीवन भी जी सकता है।

एएलएस-एमएनडी के कारण?
स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एएलएस-एमएनडी के कारणों से अनभिज्ञ हैं। इस संबंध में शोध किए जा रहे हैं। अधिकांश का दावा है कि यह रोग आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। कुछ लोगों को जीन में म्यूटेशन होने से और कुछ लोगों को जेनेटिक खतरे और पर्यावरण (विषैले पदार्थों, वायरस या शारीरिक आघात के संपर्क में आने) दोनों कारणों से एएलएस-एमएनडी विकसित हो सकता है।

एएलएस-एमएनडी के लक्षण ?
भोजन चबाना, दूसरों से बात करना, कागज पर लिखना या चलना जैसी दैनिक गतिविधियां सभी मोटर न्यूरॉन्स द्वारा नियंत्रित होती हैं। जब ये मोटर न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो व्यक्ति को मांसपेशियों में कमजोरी का अनुभव होता है। वह अपनी गतिविधियों पर नियंत्रण खो देता है। यानि लकवा हो जाता है और उसे सांस लेने, बात करने, निगलने और यहां तक कि चलने में भी कठिनाई होती है। हालांकि 300 में से 1 व्यक्ति को ही संपूर्ण जीवनकाल में मोटर न्यूरॉन रोग होने का खतरा होता है।

मोटर न्यूरॉन्स क्या हैं?
मोटर न्यूरॉन्स एक तरह की तंत्रिका कोशिका होती है जिसका काम शरीर के अंगों को संदेश भेजना होता है ताकि आप रोजमर्रा के काम कर सकें। यह मस्तिष्क में ऊपरी और निचले न्यूरॉन्स के तौर पर स्थित होती है। ऊपरी मोटर न्यूरॉन्स, मस्तिष्क से रीढ़ की हड्डी तक संदेश भेजते हैं और निचले मोटर न्यूरॉन्स, रीढ़ की हड्डी से भेजे गए संदेशों को मांसपेशियों तक पहुंचाते हैं। जब व्यक्ति को एएलएस-एमएनडी होती है, तो तंत्रिका कोशिकाएं मर जाती हैं और मस्तिष्क मांसपेशियों तक विद्युत संदेश नहीं पहुंचा पाता।

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