कौन हैं lidia thorpe? ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर जिन्होंने किंग चार्ल्स को घेरा, विवादों और एंटी-राजशाही स्टैंड के कारण चर्चा में
ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थोर्प lidia thorpe ने अपने विरोध का प्रदर्शन करते हुए एंटी-कॉलोनियल नारे लगाए और किंग चार्ल्स को संबोधित करते हुए कहा, "तुम मेरे राजा नहीं हो। तुमने हमारे लोगों का नरसंहार किया है।
कौन हैं lidia thorpe? ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर जिन्होंने किंग चार्ल्स को घेरा, विवादों और एंटी-राजशाही स्टैंड के कारण चर्चा में
lidia thorpe: ब्रिटेन के किंग चार्ल्स (King Charles) और उनकी पत्नी क्वीन कैमिलिया पांच दिनों की आधिकारिक यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। यहां उन्होंने ऑस्ट्रेलियन पार्लियामेंट में आयोजित एक पार्लियामेंट्री रिसेप्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान, ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थोर्प lidia thorpe ने अपने विरोध का प्रदर्शन करते हुए एंटी-कॉलोनियल नारे लगाए और किंग चार्ल्स को संबोधित करते हुए कहा, “तुम मेरे राजा नहीं हो। तुमने हमारे लोगों का नरसंहार किया है। हमारी जमीन वापस करो। जो भी तुमने हमसे चुराया है, वह वापस करो।”
यह घटना तब हुई जब किंग चार्ल्स ऑस्ट्रेलियाई सांसदों और सीनेटरों के बीच ग्रेट हॉल में भाषण दे रहे थे। थोर्प की इस हेकलिंग के तुरंत बाद, सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन्हें बाहर निकाल दिया। यह कोई पहली बार नहीं है जब लिडिया थोर्प ने ब्रिटिश राजशाही के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया हो; इससे पहले भी वह ऐसे विवादों में शामिल रही हैं।
कौन हैं lidia thorpe?
lidia thorpe ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर और एबोरिजिनल अधिकारों की प्रखर समर्थक हैं। वह अपनी बेबाकी और राजशाही के खिलाफ तीखे बयानों के लिए जानी जाती हैं। थोर्प विक्टोरिया राज्य के ग्रीन पार्टी की ओर से पहली एबोरिजिनल महिला सीनेटर चुनी गई थीं और 2022 में अपनी सीनेट शपथ के दौरान भी उन्होंने क्वीन एलिजाबेथ II से जुड़ी शपथ को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उनके इस स्टैंड के कारण ऑस्ट्रेलिया में राजशाही विरोधी आवाजें और तेज हुई हैं।
विवाद और राजशाही विरोधी विचार
lidia thorpe ने हमेशा राजशाही के खिलाफ अपने विचार मुखर किए हैं। वह ब्रिटिश उपनिवेशवाद को दोषी मानती हैं और लगातार एबोरिजिनल लोगों के अधिकारों और उनकी जमीन की वापसी की मांग करती रही हैं। 2022 में सीनेटर के तौर पर शपथ लेते वक्त भी उन्होंने ब्रिटिश शाही परिवार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उनके इस विरोध का कारण ऑस्ट्रेलिया की संवैधानिक राजशाही है, जहां अब तक ब्रिटेन का शाही परिवार हेड ऑफ स्टेट है।
ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटिश राजशाही का संबंध
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा है और 1901 में इसे आजादी मिली थी। हालांकि, यह अब भी एक संवैधानिक राजशाही है, जिसका हेड ऑफ स्टेट ब्रिटेन का राजा या रानी होता है। वर्तमान में, किंग चार्ल्स ऑस्ट्रेलिया के हेड ऑफ स्टेट हैं। ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन के कॉमनवेल्थ का हिस्सा भी है, जिसमें भारत सहित कुल 56 देश शामिल हैं।
हालांकि, ऑस्ट्रेलिया अब तक पूरी तरह से गणराज्य नहीं बना है। देश में संवैधानिक राजशाही का अस्तित्व है, और इससे जुड़े कानूनों और परंपराओं को लेकर विवाद और विरोध की आवाजें उठती रहती हैं। लिडिया थोर्प जैसे राजनेता गणराज्य बनने की वकालत करते हैं और ब्रिटिश राजशाही के खिलाफ नाराजगी जताते हैं, खासकर एबोरिजिनल समुदाय के अधिकारों के संदर्भ में।
lidia thorpe का उद्देश्य और उनकी लड़ाई
lidia thorpe का विरोध सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह ऑस्ट्रेलिया की सांस्कृतिक और राजनीतिक संरचना में बदलाव की मांग का हिस्सा है। वह एबोरिजिनल समुदाय की भूमि और अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करती हैं। उनका मानना है कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने एबोरिजिनल समुदाय के अधिकारों को कुचल दिया है, और उन्हें उस नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए।
उनके विरोध का मुख्य उद्देश्य एबोरिजिनल समुदाय को न्याय दिलाना और उनके हक की जमीन को वापस दिलाना है। उनके विचारों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया को अपनी जमीन और अधिकारों की रक्षा के लिए राजशाही से स्वतंत्र होकर एक गणराज्य बनना चाहिए।
नतीजे और प्रतिक्रियाएं
lidia thorpe के इस कड़े विरोध के बाद, ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में उनके स्टैंड को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोग उनके साहस और बेबाकी की सराहना कर रहे हैं, तो वहीं कई लोग इसे राष्ट्रीय शिष्टाचार का उल्लंघन मानते हैं। किंग चार्ल्स के खिलाफ इस तरह के विरोध प्रदर्शन से यह स्पष्ट होता है कि ऑस्ट्रेलिया के भीतर भी राजशाही के खिलाफ नाराजगी और गणराज्य बनने की मांगें बढ़ती जा रही हैं।
अभी यह देखना बाकी है कि लिडिया थोर्प का यह विरोध और उनकी मुहिम कितना असर डालती है, लेकिन उनके इस कदम ने फिर से राजशाही विरोधी आवाजों को जोरदार ढंग से उठाया है। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या ऑस्ट्रेलिया अब ब्रिटिश राजशाही से पूरी तरह मुक्त होकर गणराज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा?
निष्कर्ष
lidia thorpe के हालिया विरोध ने ऑस्ट्रेलिया में राजशाही के प्रति नाराजगी को एक बार फिर से उजागर किया है। वह एबोरिजिनल समुदाय के अधिकारों और न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं और ब्रिटिश राजशाही के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। उनके विरोध ने यह साबित कर दिया है कि ऑस्ट्रेलिया में राजशाही का भविष्य अब भी विवादित और चर्चा का विषय बना हुआ है।
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