उत्तर प्रदेश, नोएडा: गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली आठवीं अनुसूची में शामिल की जाएं
उत्तर प्रदेश, नोएडा: गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली आठवीं अनुसूची में शामिल की जाएं

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा। देवभूमि उत्तराखंड के संगीत और फिल्में आज दुनिया में प्रसिद्ध हो रही हैं लेकिन पहाड़ी बोली को बढ़ावा न मिलने से शहरों में उत्तराखंड की संस्कृति विलुप्त हो रही है। ऐसे में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली आठवीं अनुसूची में शामिल की जानी चाहिए। न्यू नोएडा में उत्तराखंड भवन बनाया जाए और शिल्प हाट में उत्तराखंड की दुकानें शुरू करनी चाहिए। इससे पहाड़ की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।
ये बातें नोएडा में रह रहे उत्तराखंड के मूल निवासियों ने शनिवार को कहीं। सेक्टर-59 स्थित अमर उजाला कार्यालय में आयोजित ‘उत्तराखंड कम्युनिटी संवाद’ में पहुंचे लोगों ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति के साथ ही वहां के खान-पान, पहनावा, नाच-गाना और बोली को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसकी शुरुआत अपने ही घर से हो सकती है।
लोगों ने कहा कि अपने बच्चों को पहाड़ी बोली और संस्कृति से परिचित करवाएं। बच्चों को साल में एक बार उनके पैतृक निवास जरूर ले जाएं। नोएडा में रहने वाले उत्तराखंड वासियों को अपने हर त्योहर धूमधाम से मनाने चाहिए और इसके लिए कम्युनिटी का गठन किया जाए। सेक्टरों के अंदर जो कार्यक्रम हों वहां पर उत्तराखंड के गाने जरूर बजाए जाएं। इससे उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा महाकौथिग मंच को विश्व स्तर पर सरकार को सहयोग करना चाहिए।
ये हैं मांगे
लोगों ने बताया कि नोएडा में ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उत्तराखंड वासियों को भटकना पड़ता है। शिक्षा की बात करें तो नोएडा में बने उत्तराखंड स्कूल के विकास की जरूरत है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उत्तराखंड जाने वाली सरकारी बसों की संख्या बहुत कम है। इस मौके पर वीके टम्टा, एडी जोशी, दीपा जोशी, जेबी जोशी, मोनिका बिष्ट, सरोज भट्ट, मंजू बड़थ्वाल, ममता शर्मा, प्रदीप वोहरा, लता रावत समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
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