उत्तर प्रदेश : 54 साल बाद खुलेगा बांके बिहारी मंदिर का खजाना, ऐतिहासिक दस्तावेज और बेशकीमती गहने आने की उम्मीद

Mathura News (सौरभ) : वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का तोषखाना (खजाना) 54 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार खुलने जा रहा है। मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। माना जा रहा है कि इस खजाने में सदियों पुरानी और बेशकीमती वस्तुएं मौजूद हैं, जो मंदिर के इतिहास और मालिकाना हक से जुड़े कई रहस्यों को उजागर कर सकती हैं।
मंदिर के इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, यह तोषखाना 1864 में मंदिर के गर्भगृह में भगवान बांके बिहारी के सिंहासन के ठीक नीचे बनाया गया था। इसमें कई अनमोल वस्तुएं होने की उम्मीद है, जैसे पन्ना का बना मोरनी हार, सहस्त्रफनी रजत शेषनाग, स्वर्ण कलश और ऐतिहासिक दस्तावेज।
इन दस्तावेजों में अकबर द्वारा मंदिर को दान दिए गए सोने-चांदी के आभूषणों और जमीन के कागजात भी हो सकते हैं। इसके अलावा, भरतपुर, करौली और ग्वालियर जैसी रियासतों द्वारा दान किए गए सोने-चांदी के सिक्के, दान-सेवा पत्र, और मोहर लगी सनद (शाही फरमान) भी मौजूद होने की संभावना है।
यह तोषखाना आखिरी बार 1971 में खोला गया था, लेकिन उस बक्से को कभी वापस नहीं लाया गया जिसमें कुछ आभूषण निकाले गए थे। अब मंदिर के हित में और कई दशकों से चल रहे कानूनी विवादों को सुलझाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि सरकारें मंदिर के मालिकाना हक के बारे में प्रमाण मांग रही हैं, ऐसे में खजाने में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेजों को सामने लाना बेहद जरूरी है। उम्मीद है कि खजाना जल्द ही खोला जाएगा और इसमें मौजूद संपत्ति का इस्तेमाल भगवान बांके बिहारी के हित में किया जाएगा।