सुखोई 30 एमकेआई की ताकत में इजाफा करेगा स्वदेश निर्मित इंजन
-एचएएल ने नए अनुबंध के तहत वायुसेना को सौंपा पहला एएल-31एफपी एयरो इंजन
नई दिल्ली/बेंगलुरु, 1 अक्तूबर : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने पहला एएल-31एफपी एयरो इंजन सोमवार को कोरापुट में भारतीय वायुसेना को सौंपा। यह इंजन भारतीय वायुसेना के सबसे शक्तिशाली सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में लगाया जाएगा जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार और सीएमडी (एचएएल) डॉ. डी के सुनील मौजूद रहे।
दरअसल, लड़ाकू विमान का जीवनकाल आमतौर पर 30 से 40 वर्ष का माना जाता है और इस दौरान, उसके इंजन को 2 से 3 बार बदला जाता है। लिहाजा, वायुसेना ने रूस निर्मित सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए एचएएल से 240 इंजन तैयार कराने के लिए अनुबंध किया था जिसके तहत रूस के सहयोग से सुखोई इंजन डिवीजन, कोरापुट में एएल-31एफपी एयरो इंजन विकसित किया गया है। इसके साथ ही एचएएल ने एयरो इंजन निर्माण की अत्याधुनिक तकनीकों में महारत हासिल कर ली है। शेष 239 इंजन अगले आठ वर्षों में सेना को सौंपे जाएंगे।
इसके अलावा, भारतीय वायुसेना के एसयू -30 एमकेआई को 63,000 करोड़ रुपये के अपग्रेड प्रोग्राम से भी गुजरना पड़ रहा है। इन अपग्रेड में मेड-इन-इंडिया एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे. रडार, ज्यादा सक्षम इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सेंसर, नए इलेक्ट्रॉनिक्स, मिशन कंप्यूटर और कंपोनेंट की स्थापना शामिल है।