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नई दिल्ली: सिर्फ कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को निशाना बनाएगी एम्स की 9सी4 एंटीबॉडी

नई दिल्ली: -एम्स ने विकसित की 9सी4 एंटीबॉडी, ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों को मिलेगा किफायती इलाज

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर : एम्स दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एंटीबॉडी विकसित की है जो ना सिर्फ ब्लड कैंसर के इलाज में कारगर है। बल्कि वर्तमान सीएआर टी सेल और इम्यूनोथेरेपी के मुकाबले बेहद किफायती भी है। यह सुविधा उन मरीजों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी जो ब्लड कैंसर के इलाज के लिए सभी प्रकार के उपचारों को आजमा चुके हैं।

दरअसल, डॉ बी आर अंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल एम्स दिल्ली के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अति प्रो डॉ मयंक सिंह ने एक ऐसी एंटीबॉडी विकसित की है जो रक्त कैंसर जैसे जानलेवा रोग के इलाज में कारगर है। इसे 9सी4 नाम दिया गया है। यह कैंसर के मरीज को इलाज के लिए दी जाने वाली सेल्युलर थेरेपी के विकास में भी मददगार है। यह दवा सिर्फ कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को मारती है और स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षित रखती है। एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग की प्रो कल्पना लूथरा और डॉ मयंक सिंह के अनुसंधान समूह ने इस स्वदेशी सीएआर टी सेल थेरेपी को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है।

डॉ मयंक सिंह के मुताबिक देश में मल्टीपल मायलोमा या ब्लड कैंसर के मरीज बड़ी संख्या में मौजूद हैं लेकिन इलाज की प्रक्रिया बेहद महंगी होने के कारण उसका लाभ नहीं उठा पाते। उन्होंने कहा, कैंसर के इलाज के लिए प्रचलित कीमो और रेडियो थेरेपी से नॉन कैंसरस सेल भी मरते हैं जिससे साइटोटॉक्सिसिटी होती है और मरीज की सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ता है जो अक्सर घातक साबित होता है। लेकिन 9सी4 एंटीबॉडी सिर्फ कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट करती है जिससे मरीज को कैंसर से मुक्ति मिलने के साथ सेहत की रिकवरी करने में भी आसानी होती है। उन्होंने बताया कि पेटेंट मिलने के बाद हम इसे ‘एम्स एकेडेमिक कार’ के नाम से विकसित करेंगे और ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों को राहत प्रदान करेंगे।

कार टी सेल और इम्यूनोथेरेपी में अंतर
सीएआर टी-सेल थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी का एक रूप है। इम्यूनोथेरेपी, कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। वहीं, सीएआर टी-सेल थेरेपी में, मरीज की टी कोशिकाओं को प्रयोगशाला में संशोधित करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।

इलाज के रेट होंगे काफी कम ?
ब्लड कैंसर के इलाज लिए विदेश में करीब एक करोड़ रुपये का खर्च आता है। वहीं, मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में इसका इलाज 30 लाख रुपये में उपलब्ध है। लेकिन एम्स द्वारा विकसित स्वदेशी दवा इन सभी दरों से बेहद कम दरों पर उपलब्ध होगी।

क्या है मल्टीपल मायलोमा ?
मल्टीपल मायलोमा एक तरह का रक्त कैंसर है। यह प्लाज्मा कोशिकाओं से जुड़ा होता है और अस्थि मज्जा में विकसित होता है। मल्टीपल मायलोमा, प्लाज्मा सेल कैंसर का सबसे आम प्रकार है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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