
Shimla Agreement Deal को पाकिस्तान ने Dead Document करार दिया। अब भारत के लिए चुंब सेक्टर समेत PoK को फिर से भारत में मिलाने का रास्ता खुल गया है। जानिए इस समझौते के टूटने का पूरा असर।
Shimla Agreement Deal खत्म: पाकिस्तान की ऐतिहासिक भूल, भारत को PoK में मिलेगी बढ़त
Shimla Agreement Deal अब इतिहास बन चुका है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में बयान दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ Shimla Agreement Deal अब “Dead Document” है। इस घोषणा ने भारत के लिए रणनीतिक और भौगोलिक रूप से अहम चुंब सेक्टर को दोबारा अपने नियंत्रण में लेने का मार्ग खोल दिया है।
क्या कहा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच Shimla Agreement Deal समाप्त हो चुका है और अब की स्थिति पूर्ववर्ती हालात जैसी मानी जाए। उन्होंने कहा कि अब LoC को Ceasefire Line समझा जाए और भारत-पाक विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाएगा।
Shimla Agreement Deal का इतिहास
Shimla Agreement Deal 1972 में भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए हुआ था। इस समझौते में पाकिस्तान को चुंब सेक्टर जैसे क्षेत्रों पर नियंत्रण मिला था जो सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए बेहद अहम माने जाते थे।
चुंब सेक्टर का महत्व
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चुंब भारत की रणनीतिक दृष्टि से सबसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में से एक है।
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1965 में यह क्षेत्र भारत के पास था लेकिन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने इसे कब्जा लिया।
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Shimla Agreement Deal के तहत पाकिस्तान को चुंब पर अस्थायी नियंत्रण मिला और उन्होंने इसका नाम बदलकर इफ्तिकाराबाद रख दिया।
अब क्या हो सकता है?
अब जबकि पाकिस्तान ने स्वयं Shimla Agreement Deal को निरस्त किया है, भारत को कानूनी और सैन्य दृष्टि से चुंब सेक्टर सहित Pakistan Occupied Kashmir (PoK) के कई क्षेत्रों पर फिर से दावा करने का अवसर मिल गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी रणनीतिक भूल साबित हो सकती है।
भारत को संभावित फायदे
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PoK पर नया दावेदारी अधिकार
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चुंब सेक्टर में सैन्य पहुंच
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कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने का अवसर
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1972 की संधि से बंधे होने का दवाब समाप्त
Shimla Agreement Deal को “Dead Document” बताकर पाकिस्तान ने खुद को ही रणनीतिक नुकसान पहुंचाया है। भारत अब इस अवसर का इस्तेमाल कर चुंब सेक्टर और अन्य क्षेत्रों को फिर से अपने अधिकार में लेने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। यह केवल एक समझौता नहीं टूटा — यह एक नया अध्याय शुरू होने की घोषणा है।