Shardiya Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना

Shardiya Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना
Shardiya Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा अवतार हैं, और इस दिन उनकी आराधना का विशेष महत्व है। मां चंद्रघंटा के सिर पर आधा चंद्रमा है और वे बाघ पर सवार हैं, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक हैं। इस साल 2024 में शारदीय नवरात्रि का तीसरा व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा।
मां चंद्रघंटा (Maa Chandraganta)
- विशेषताएं: मां चंद्रघंटा के तीन नेत्र हैं और वे दस शस्त्रों को धारण करती हैं। यह देवी अपने भक्तों को खतरे और अप्रिय स्थिति में भय को नियंत्रित करने की क्षमता देती हैं।
- महत्व: मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मान-सम्मान और लोकप्रियता मिलती है। यह देवी नकारात्मक ऊर्जा, कठिनाइयों और चिंताओं को दूर करने की शक्ति देती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
देवी चंद्रघंटा की कृपा पाने के लिए सबसे पहले मां दुर्गा और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और भगवान विष्णु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के बाद मां चंद्रघंटा की आराधना की जानी चाहिए।
मां चंद्रघंटा की कथा (Maa Chandraghanta Katha)
मां दुर्गा ने भगवान शिव से विवाह के लिए उनकी प्रार्थना की और उन्हें प्रभावित किया। भगवान शिव विवाह के लिए तैयार हो गए, लेकिन उनके अजीबोगरीब रूप और बारात की उपस्थिति ने मां पार्वती के परिवार को हैरान कर दिया। इस शर्मिंदगी से बचने के लिए, माता पार्वती ने मां चंद्रघंटा का रूप धारण किया। मां चंद्रघंटा ने भगवान शिव से एक सुंदर राजकुमार का रूप धारण करने की याचना की, जिसके बाद भगवान शिव शाही कपड़ों में सजधज कर एक आकर्षक राजकुमार बन गए। उनका विवाह सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ, जिसे पूरा देश महाशिवरात्रि के रूप में मनाता है।
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)
मंत्र:
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसीदम तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
इस मंत्र का जाप करने से मां चंद्रघंटा प्रसन्न होती हैं। आप इसे ओम देवी चंद्रघंटायै नमः का 108 बार जाप करके भी कर सकते हैं।
ध्यान मंत्र
ध्यान करें:
वन्दे वांछितालाभाय चन्द्रार्धकृत्यशेखरम्
सिंहरूढा चंद्रघंटा यशस्विनीम्
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमंडलु माला वराभीतकराम्
पटाम्बर परिधानाम् मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुंडल मण्डिताम्
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलम् तुगम् कुचम्
कमनीयाम् लावण्याम् क्षीणकटि नितम्बनीम्।