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संविधान की सरे आम धज्जियाँ उड़ाता इंडी गठबंधन

संविधान की सरे आम धज्जियाँ उड़ाता इंडी गठबंधन

लगातार झूठ, फ़रेब , मक्कारी, भ्रम और धोखे की राजनीति कर विपक्ष अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है और इसी कारण चुनाव भी हारता जा रहा है। लेकिन ना जाने किस जमाने की अफ़ीम की गोली खाकर किस नशे में झूम रहा है की उन्हें समझ ही नहीं आ रहा की यह इक्कीसवीं शताब्दी का भारत है, सब समझ रहा है, देख रहा है और आपके हर झूठ का स्वयं विश्लेषण कर निर्णय कर रहा है और आपको बार बार धूल चटाकर बता रहा है की अब वह आपकी छद्म मिठाई में लिपटी हुई झूठ की लाली पॉप खाने को तैयार नहीं है। यह आकांक्षाओं से भरपूर भारत की जनता है, ख़ुद भी विकसित होना चाहती है और विकसित भारत भी देखना चाहती है।

विपक्ष की विघटनकारी सोच को समझ चुकी है और किसी भी झाँसे में आने से इनकार कर रही है।

2014 से लगातार मिल रही हारों के बाद भी हार के कारणों का सही विश्लेषण ना कर अपने अंध भक्तों को खुश करने के लिए एक ही प्रकार का दुष्प्रचार हर पराजय के बाद करते हैं की ईवीएम में गढ़बड़ी की गई, चुनाव आयोग ने धांधली की, अधिकारियों ने हरवा दिया इत्यादि इत्यादि जैसे चलन से बाहर हो चुके बहाने लेकर जनता के सामने आ जाते है।

मई में आम चुनाव के समय खंडित, विखंडित और अर्धविक्षिप्त इंडी गठबंधन के नेता पूरे देश में ढोल बजाते घूम रहे थे की इस बार मोदी आ गया तो संविधान बदल देगा, लोकतंत्र ख़त्म हो जाएगा, मोदी चुनाव जीत गया तो यह आख़िरी चुनाव होगा।

2024 आम चुनाव के नतीजे आये छः महीने बीत चुके हैं, मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है, ना तो संविधान ख़त्म हुआ है, ना लोकतंत्र ख़त्म हुआ है और आम चुनाव के बाद देश में हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड विधान सभाओं के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में उपचुनाव भी हुए हैं। क्या राहुल के नेतृत्व में इंडी गठबंधन को अपने द्वारा बोले गए झूठ के लिये देश से माफ़ी नहीं माँगनी चाहिए। नहीं कभी नहीं माँगेंगे क्यूँकि राजशाही परिवार से आते है , झूठ मक्कारी से देश पर राज करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानते है। राहुल गांधी याद रखो देश में लोकशाही है राजशाही नहीं चुनाव जीत कर ही सत्ता पा सकते हो जो आपकी बाल बुद्धि के लिये अभी तक असंभव लग रहा है क्योंकि आपका मुक़ाबला मोदी जैसे राजयोगी से है, जिसका ध्येय सिर्फ़ राष्ट्र प्रथम है।

संविधान की धज्जियाँ कैसे उड़ाते हैं कल संविधान दिवस पर विपक्ष ने दिखा दिया । सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम के प्रयोग के ख़िलाफ़ सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब जीतते हो तो ख़ुशी मनाते हो और जब हारते हो तो ईवीएम का रोना रोते हो, क्या भारत को उस युग में ले जाना चाहते हो जहां बैलट बॉक्स और बैलेट पेपर लूटे जाते थे। हम ऐसा नहीं होने देंगे।

सर्वोच्च न्यायालय भी संविधान के अंतर्गत ही काम करता है तो इस निर्णय के बाद खड़गे और राहुल का बयान की हम बैलेट पेपर से चुनाव के लिए देश भर में आंदोलन करेंगे कौन से संविधान की रक्षा है। लोकसभा और राज्य सभा में लगातार हंगामा कर , बैनर , पोस्टर, लहराकर कौन से संविधान की रक्षा करते हो, सदन के पटल पर झूठ बोलकर कौन सा संविधान बचता है, इतिहास बताता है शाह बानो केस में सर्वोच्च न्यायालय का फेंसला पलट कौन सा संविधान बचाया था, इंदिरा गांधी ने अपना चुनाव अवैध घोषित होने पर सत्ता में बने रहकर कौन सा संविधान बचाया था, आपातकाल लगाकर कौन सा संविधान बचाया था, विपक्ष के सभी नेताओं को जेल भेजकर क्या संविधान बचा रहे थे, राहुल अपनी ही सरकार का प्रस्तावित अध्यादेश सरेआम फाड़कर क्या संविधान बचा रहे थे। संभल में कोर्ट के आदेश के बाद हो रहे सर्वे के समय आगज़नी, हत्या , हिंसा, पुलिस पर पत्थरबाज़ी कर अखिलेश कौन से संविधान की रक्षा कर रहे थे।
संविधान ख़तरे का नारा लगाने वालों को पहले अपने अंदर झांकना चाहिए।

भारत का संविधान अक्षुण्ण है राहुल और इसके परिवार के अलावा इससे कोई छेड़छाड़ नहीं करता है।

पूरे विश्व में जब आर्थिक मंदी और अव्यवस्था है तब भी भारत सहज गति से अनवरत आगे बढ़ रहा है जिससे देशवासियों को मोदी पर विश्वास बढ़ रहा है यह शायद इंडी गठबंधन को पच नहीं रहा इसलिए लगातार झूठ बोल रहे हैं । समय है इन्हें सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाकर , देश को आगे कैसे ले जाएँगे यह बताकर जनता का विश्वास जीतना चाहिए। संविधान को कुछ नहीं होने जा रहा, देश और हमारा संविधान दोनों ही मज़बूत हैं।
राकेश शर्मा

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