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प्रोस्टेट कैंसर व संक्रामक रोगों का पता लगाने के लिए स्वदेशी तकनीक का विकास

- आईआईटी दिल्ली ने केंद्र सरकार के सहयोग से विकसित की दो नई तकनीक

नई दिल्ली, 2 अगस्त : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी दिल्ली) ने दो ऐसी स्वदेशी तकनीक विकसित की हैं। जिनके माध्यम से प्रोस्टेट कैंसर और संक्रामक रोगों का पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा। जल्द ही यह सुविधा बाजार में आसानी से उपलब्ध हो सके। इन तकनीकों को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा वित्तपोषित परियोजना नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स नेटवर्क फॉर रिसर्च एंड एप्लीकेशन (एनएनईटीआरए) के तहत विकसित किया गया है।

‘प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए डीएनए एप्टामर’ नामक तकनीक को डॉ. स्वप्निल सिन्हा, एचयूएमएमएसए बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता को हस्तांतरित किया गया है। एप्टामर को आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर प्रशांत मिश्रा और उनकी टीम ने विकसित किया है। यह एप्टामर कैंसर उत्पन्न करने की क्षमता वाले विशिष्ट ऑन्कोजीन से लड़ने में सक्षम है और प्रोस्टेट कैंसर के लिए थेरानोस्टिक्स के रूप में उपयोगी हो सकता है।

वहीं, रोगजनक का पता लगाने के लिए “फोटोनिक चिप आधारित स्पेक्ट्रोमेट्रिक बायोसेंसर” तकनीक को नितिन जवेरी, यूएनआईएनओ हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई को सौंपा गया है। इस नई तकनीक को प्रो. जॉबी जोसेफ और आईआईटी दिल्ली की टीम ने विकसित किया है। इससे रोगजनकों का त्वरित और सटीक पता लगाने में मदद मिलेगी, जिससे संक्रामक रोगों की रोकथाम हो सकेगी।

इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समारोह में एमईआईटीवाई के सचिव एस कृष्णन, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंजन बनर्जी, एमईआईटीवाई अपर सचिव भुवनेश कुमार, एमईआईटीवाई की वरिष्ठ निदेशक सुनीता वर्मा, परियोजना के सीआई प्रोफेसर नीरज खरे और एमईआईटीवाई में वैज्ञानिक ई डॉ. संगीता सेमवाल शामिल रहीं।इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने में फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआईटीटी) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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