One Nation One Election विधेयक पर केंद्रीय कैबिनेट का अहम फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘One Nation One Election विधेयक को मंजूरी दे दी है। इससे लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का रास्ता खुल गया है। यह विधेयक 2024 के शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
- कोविंद समिति की रिपोर्ट, जो इस विषय पर बनी थी, को 18 सितंबर को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी।
- प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार इस विचार को प्रस्तुत किया था, और इसे 2024 में भी उठाया।
‘One Nation One Election क्या है?
यह विचार देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है। अभी अलग-अलग राज्यों के चुनावों का समय अलग-अलग होता है, जिससे चुनावी खर्च में वृद्धि होती है।
- कुछ राज्यों में, जैसे अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, और सिक्किम, विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं।
One Nation One Election: ‘एक देश, एक चुनाव’ पर क्यों बढ़ी बहस?
यह बहस 2018 में विधि आयोग की रिपोर्ट के बाद तेज हुई, जिसमें आर्थिक कारणों को बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं, तो खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा, जो कि वर्तमान में एकल चुनावों के मुकाबले किफायती होगा।
One Nation One Election : कोविंद समिति की सिफारिशें
समिति ने अपने सुझाव दो चरणों में देने की सिफारिश की:
- पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे।
- दूसरे चरण में, स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) 100 दिनों के भीतर होंगे।
- एक समान मतदाता सूची तैयार करने का भी प्रस्ताव है, और इसके लिए एक कार्यान्वयन समूह का गठन किया जाएगा।
- रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध है: https://onoe.gov.in
One Nation One Election: समिति के अतिरिक्त सुझाव
- 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे।
- 1999 में विधि आयोग ने पाँच वर्षों में एक ही समय में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराने का सुझाव दिया था।
- 2015 में संसदीय समिति ने इसे दो चरणों में लागू करने का सुझाव दिया।
निष्कर्ष
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का विचार चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने और संसाधनों की बचत करने के उद्देश्य से लाया गया है। हालांकि, इसे लेकर विभिन्न पक्षों से समर्थन और आपत्तियां दोनों मिल रही हैं। यह विधेयक अब केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश किया जाएगा, और इस पर आगे की चर्चा की जाएगी।
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