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Noida ADM corruption: भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एडीएम भैरपाल सिंह पर बड़ी कार्रवाई, लखनऊ राजस्व परिषद से किए गए अटैच

Noida ADM corruption: भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एडीएम भैरपाल सिंह पर बड़ी कार्रवाई, लखनऊ राजस्व परिषद से किए गए अटैच

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर प्रशासन में मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया जब शासन ने भ्रष्टाचार और किसानों की जमीन से जुड़े विवादों में पक्षपात के गंभीर आरोपों के चलते न्यायिक एडीएम भैरपाल सिंह को उनके पद से हटा दिया। शासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से लखनऊ स्थित राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया है। यह कार्रवाई लंबे समय से चली आ रही शिकायतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।

जानकारी के अनुसार, एडीएम भैरपाल सिंह पर किसानों की जमीनों पर जबरन कब्जा कराने, मनमाने ढंग से फैसले लेने और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के आरोप लगते रहे हैं। इन शिकायतों को शासन स्तर पर गंभीरता से लिया गया और विस्तृत जांच के बाद कार्रवाई का निर्णय हुआ। शासन के इस कदम के बाद गौतमबुद्ध नगर के प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई है।

कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ भ्रष्टाचार का मुकदमा
सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही कोर्ट के आदेश पर भैरपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया था। इस प्रकरण के बाद से ही शासन उनकी कार्यप्रणाली पर नजर बनाए हुए था। जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया।

शासन का स्पष्ट संदेश — किसानों के हितों से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
सरकार ने इस कार्रवाई के जरिए साफ संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार और किसानों के अधिकारों से समझौता करने वालों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, शासन भविष्य में ऐसे मामलों में शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाएगा। अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें।

प्रशासनिक हलकों में हलचल
एडीएम पर कार्रवाई की खबर फैलते ही जिला प्रशासन में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कई अधिकारियों का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक तंत्र को सुधारने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में एक सशक्त संदेश है।

गौरतलब है कि गौतमबुद्ध नगर में भूमि अधिग्रहण और किसानों के मुआवजे से जुड़े कई विवाद पहले से चल रहे हैं। ऐसे में एडीएम स्तर के अधिकारी पर इस तरह की कार्रवाई से शासन की सख्त नीति का संकेत मिलता है कि किसानों के हितों से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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