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New Delhi : नेपाल में जो हुआ संयोग या एक और षड्यंत्र का प्रयोग?

New Delhi ( राकेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार) : नेपाल में जो हिंसा, अराजकता, मौत का तांडव चल रहा है जिससे प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफ़ा देकर सेना की मदद से गुप्त स्थान पर जाना पड़ा है उससे यह विश्वास पुख्ता हो गया है की ज़ेन जी का यह आंदोलन कोई साधारण आंदोलन नहीं था बल्कि एक गहरी साजिश और षड्यंत्र का नतीज़ा है ।

जो आंदोलन बंद किए गए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को खुलवाने के लिए किया गया वो अचानक इतना हिंसक कैसे हो गया जिसमें ओली के व्यक्तिगत घर को धू धू कर जला दिया गया, पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को उनके घर के साथ जला दिया गया, गृह मंत्री की पिटाई को गई, पूर्व प्रधान मंत्री को दौड़ा दौड़ाकर पीटा गया, एक एसपी की हत्या कर दी गई, संसद , राष्ट्रपति भवन को आग के हवाले कर दिया गया वह जब था जब आंदोलनकारियों की माँग लगभग मान ली गई थी।

इसका मतलब सोशल मीडिया वापस शुरू करना था ही नहीं बल्कि चीन समर्थित प्रधानमंत्री ओली को हटाकर अमेरिका के पिट्ठू और काठमांडू के मेयर बालेन्दु शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाना ही था। क्या यह अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध की परिणति तो नहीं जहाँ अमेरिका नेपाल को चीन के प्रभुत्व से बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है ।आंदोलनकारी यही माँग कर रहे हैं और बालेन्दु शाह ने इस शक को पुख्ता तब कर दिया जब वह आंदोलन के बीच में ही काठमांडू में नियुक्त अमेरिकी राजदूत से मिलने चले गए ।

क्या हमें अब नहीं लगता कि पिछले वर्ष बंगलादेश में प्रधान मंत्री शेख हसीना को चुनाव धांधली को लेकर आंदोलन अचानक हिंसक हो गया और आंदोलन चुनाव में धांधली को पीछे धकेलकर शेख हसीना को इस्तीफा देने तक पहुंच गया । यह यही नहीं रुका बल्कि शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद और उग्र हो गया । प्रधानमंत्री के घर में उत्पात मचाकर घर में तोड़फोड़ की, शेख मुजीबुर्र रहमान की मूर्ति को गिरा दिया, हिंदुओं को मारा गया, हिंदू महिलाओं से बलात्कार किया गया, हिंदुओं के मकानों , व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों को तोड़ा गया और यह आंदोलन कई महीनों तक चलता रहा और अमेरिकी समर्थक मो यूनुस को सत्ता पर बैठाकर, कट्टरवादी मुसलमानों की सारी मांगे मानने के बाद ही शांत हुआ । साफ़ है कि इसके पीछे भी अमेरिका का ही हाथ था।क्यूंकि शेख़ हसीना ने अमेरिका के दबाव में आकर एक बांग्लादेशी सैंट मार्टिन टापू अमेरिका को स्थानांतरित करने से मना कर दिया था। इसी तरह की हिंसा सत्ता परिवर्तन के लिए श्रीलंका में भी अभी हाल में ही हो चुकी है। सभी कह रहे हैं कि इन सभी घटनाओं के पीछे अमेरिकी डीप स्टेट और सीआईए का हाथ है।

बात यहीं नहीं समाप्त होती जरा इंडी गठबंधन के नेताओं और आप पार्टी के सांसद संजय सिंह की बातों को गौर से सुने जहाँ ये सब कह रहे हैं की भारत में भी यह सब कुछ होने वाला है । राहुल तो पहले ही कह चुके हैं की जनता मोदी को डंडों से पीटेगी । वोट चोरी का आरोप लगाकर राहुल भी श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल की पुनरावृत्ति भारत में कराने की तैयारी बहुत अरसे से कर रहे हैं। जनता को भड़काने को अनवरत कोशिश कर रहे हैं क्यूंकि वोट के चलते मोदी को सत्ताच्युत नहीं कर सकते। शाहीन बाग आंदोलन, किसान आंदोलन, 26 जनवरी , 2021 को किसानों के नाम पर आंदोलन करने वालों का लालकिले पर हमला, 2024 के आम चुनाव के दौरान अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों का विपक्षी नेताओं से उनके राज्यों में जाकर गुफ्तगू करना, डीप स्टेट की दख़लंदाज़ी और हर प्रकार की मदद जिससे मोदी को हराया जा सके क्या बताता है ।

इंडी गठबंधन की मदद से भारत विरोधी विदेशी शक्तियां भारत में भी अस्थिरता पैदा करना चाहती हैं।

यह सब भारत को विकसित होते देख देशी विदेशी शक्तियों का षड्यंत्र है । विदेशी भारत को विकसित राष्ट्र होते देखना नहीं चाहता और इंडी गठबंधन सोचता है कि भारत यदि ऐसे ही हर क्षेत्र में आगे बढ़ता रहा तो उनका सत्ता प्राप्त करने का स्वप्न कभी पूरा नहीं होगा। भारत में अस्थिरता, अराजकता , हिंसा करने करवाने के अपने अपने लक्ष्य हो सकते हैं लेकिन भारत की आम जनता भारत के साथ है इसलिए इन देशद्रोही शक्तियों का ख़्वाब कभी पूरा नहीं होने देगी । लेकिन सरकार को हर तरह से सतर्क रहने की जरूरत है , बहुत ही खतरनाक और व्यापक स्तर पर खेल चल रहा है।

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