
New Delhi : उपराष्ट्रपति ने संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संविधान में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोगों की सामूहिक चेतना, बलिदान और स्वप्न समाहित हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को साकार किया है और भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान में भारत में सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता समाहित है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है और 100 करोड़ से अधिक नागरिकों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाया गया है—जो असंभव को संभव बनाना दर्शाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और बिहार में हाल के चुनावों में मतदाताओं द्वारा भारी संख्या में मतदान करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के अटूट विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने नागरिकों से विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र-निर्माण प्रत्येक व्यक्ति के सजग योगदान से ही संभव है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के मूलभूत मूल्यों और सिद्धांतों को आत्मसात करके ही हम एक सशक्त, समावेशी और समृद्ध विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं।





