
अलविदा भारत के ‘रतन’: राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा को दी गई अंतिम विदाई, अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब
भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है। बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली। लंबे समय से उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे रतन टाटा को सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को उनके पार्थिव शरीर को दक्षिण मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जहां महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार सहित कई राजनीतिक और बिजनेस हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार
रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से वर्ली श्मशान घाट पर किया गया। पारसी होने के बावजूद उनके अंतिम संस्कार में यह बदलाव महामारी के बाद से पारसियों की अंतिम संस्कार प्रक्रिया में हुए परिवर्तन के कारण हुआ। इससे पहले टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का भी अंतिम संस्कार इसी प्रकार से हुआ था।
महाराष्ट्र सरकार में राजकीय शोक
महाराष्ट्र सरकार ने रतन टाटा के सम्मान में 10 अक्टूबर को राजकीय शोक दिवस घोषित किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने की घोषणा की थी। सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहे और सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए।
संत जैसा जीवन
दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा अपनी सादगी और शालीनता के लिए जाने जाते थे। वे अरबपतियों की सूची में कभी नहीं दिखे, बावजूद इसके कि वे 30 से ज्यादा कंपनियों का नेतृत्व करते थे। उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से वास्तुकला में बी.एस. की डिग्री ली और टाटा समूह से जुड़ गए। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं, और वे एक सच्चे कॉर्पोरेट लीडर के रूप में पहचाने गए।