नई दिल्ली: सुधारों के वर्ष में भी प्रौद्योगिकी पर जोर देगी भारतीय सेना
नई दिल्ली: - सेना प्रौद्योगिकी बोर्ड, स्वदेशीकरण अनुसंधान एवं विकास निधियों के माध्यम से नवाचारों को बढ़ावा
नई दिल्ली, 12 जनवरी: हिमालय की बर्फीली ऊंचाइयों से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान और पूर्वोत्तर के जंगलों तक, भारतीय सेना को बेहद कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अलग-अलग भूभाग, मौसम और परिचालन स्थितियों के लिए अलग-अलग विशिष्ट आवश्यकताएं होती हैं। इसके लिए निरंतर नवाचार की संस्कृति की आवश्यकता है, ताकि परिचालन, रसद और प्रशिक्षण क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।
दरअसल सेना, आत्मनिर्भर भारत (सैन्य क्षेत्र में) का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वदेशी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए सेना प्रौद्योगिकी बोर्ड और स्वदेशीकरण अनुसंधान एवं विकास निधियों के माध्यम से नवाचारों को विकसित किया जा रहा है। उनकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जा रहा है। ताकि एक मजबूत रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुधारों के साथ तालमेल बिठाकर, सेना की परिचालन क्षमताओं को फिर से परिभाषित किया जा रहा है।
सेना ने रक्षा आधुनिकीकरण के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने के लिए अपने 77 वें स्थापना दिवस (बुधवार, 15 जनवरी) से पहले ‘प्रौद्योगिकी अवशोषण का वर्ष’ अभियान (2023) को ‘सुधारों का वर्ष’ (2025) अभियान के साथ संरेखित कर दिया है। मोदी सरकार के नेतृत्व में जैसे-जैसे परिवर्तन का दशक सामने आ रहा है, भारतीय सेना एक ऐसे भविष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध हो रही है जहां नवाचार, लचीलापन और आत्मनिर्भरता भारत की सैन्य शक्ति को आगे बढ़ाने में मदद कर सके। हालांकि, सफल नवाचारों को सेना सहित अन्य रक्षा बल और अर्धसैनिक संगठन भी अपना रहे हैं जिनमें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) उल्लेखनीय रूप से शामिल हैं। इन दोनों ने विद्युत रक्षक जैसे नवाचारों को खरीदने में भी रुचि दिखाई है।
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