दिल्लीभारत

नई दिल्ली: सेहत के लिए कोलेस्ट्रॉल जरुरी मगर ज्यादा होने पर हार्ट अटैक संभव

नई दिल्ली: -अच्छी सेहत के लिए खानपान और जीवनशैली में सुधार संग लिपिड प्रोफाइल पर रखें नजर

नई दिल्ली, 6 मार्च : संस्कृत का प्रसिद्ध सूत्र ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’, सेहत के मामले में भी लागू होता है। इसका मतलब, हर वो चीज जो जरूरत से ज्यादा है, उस पर रोक लगनी चाहिए। इसी तरह शरीर के लिए जरुरी हार्मोन, पित्त और विटामिन डी के उत्पादन में मदद करने वाला कोलेस्ट्रॉल जब बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो वह ना सिर्फ ह्रदय रोग बल्कि हृदयाघात तक की वजह बन जाता है।

एम्स दिल्ली के हृदय रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ राकेश यादव ने बताया कि शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है – एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन)। अच्छी सेहत के लिए एचडीएल कोलेस्ट्रॉल जरुरी होता है। लेकिन जब शरीर में एलडीएल की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो वह सेहत के लिए खतरनाक बन जाती है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को ‘बैड’ कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। यह धमनियों की दीवारों पर जमा हो जाता है और धमनियों को सख्त बना देता है। इससे दिल की बीमारी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

डॉ यादव ने बताया कि एलडीएल की अधिकता और हार्ट अटैक का आपस में गहरा संबंध है। शरीर में एलडीएल का स्तर 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिए। अगर 130 एमजी/डीएल या इससे ज्यादा है तो बॉर्डर लाइन पर है।160 एमजी/डीएल या ज्यादा है तो हाई कोलेस्ट्रॉल है और 190 एमजी/डीएल या इससे ज्यादा है तो व्यक्ति डेंजर जोन में है। वहीं, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल ‘अच्छा’ कोलेस्ट्रॉल कहलाता है। यह दिल की सेहत के लिए जरूरी होता है और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करता है। इससे दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।

कोलेस्ट्रॉल के लक्षण ?
शरीर में कोलेस्ट्रॉल इकट्ठा होने की वजह से आर्टरीज संकरी होने लगती हैं और रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इसके कारण हाथ या पैर में झनझनाहट या किसी फिजिकल एक्टिविटी के दौरान पैरों में अकड़न की समस्या हो सकती है। हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण पाचन तंत्र के साथ भी समस्या हो सकती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, जी मिचलाना और वजन में वृद्धि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें नियंत्रित ?
शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए, आप ये उपाय अपना सकते हैं। संतृप्त वसा से भरपूर आहार से परहेज करें। धूम्रपान न करें। स्ट्रेस से बचें, पर्याप्त नींद लें। वजन कम करें, बीएमआई 23 से कम पर लाएं। शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं। परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर आहार और जीवनशैली में बदलाव करें। तेल, नमक,चीनी और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करें। 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से लिपिड प्रोफाइल रक्त परीक्षण कराएं।

‘कोटा फैक्ट्री’ सीजन 3: जितेंद्र कुमार की दमदार ड्रामा नेटफ्लिक्स पर आएगी, रिलीज डेट सामने आई

Related Articles

Back to top button