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नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर में अहम रही मेक-इन-इंडिया की भूमिका : राजनाथ

नई दिल्ली: - पीओके भारत का हिस्सा है, यह स्वेच्छा से हमारी मुख्यधारा में वापस आएगा : रक्षा मंत्री

नई दिल्ली, 29 मई : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत के दिग्गजों से कहा, मेक-इन-इंडिया हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा में एक आवश्यक घटक है। जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रभावी कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

उन्होंने आगे कहा, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) कार्यक्रम निष्पादन मॉडल के माध्यम से, निजी क्षेत्र को पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ एक मेगा रक्षा परियोजना में भाग लेने का अवसर मिलेगा, जिससे स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी। वे वीरवार को नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

रक्षा मंत्री ने भारत में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए एएमसीए कार्यक्रम के निष्पादन मॉडल को एक साहसिक और निर्णायक कदम बताया, जो घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा, एएमसीए परियोजना के तहत, पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन किया जाएगा। यह मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि राष्ट्र ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत नहीं किया होता तो भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान और पीओके में आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाते। उन्होंने मेक-इन-इंडिया को सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के उपयोग ने साबित कर दिया है कि भारत में दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की शक्ति है। उन्होंने कहा, हमने आतंकवादियों के ठिकानों और फिर सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। हम और भी बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन हमने शक्ति और संयम के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।

राजनाथ सिंह ने फिर से स्पष्ट किया कि पीओके भारत का हिस्सा है और भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग हुए लोग जल्द या बाद में स्वेच्छा से भारत लौट आएंगे। उन्होंने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। राजनाथ सिंह ने कहा , यह केवल अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि का मामला नहीं है। यह भारत में दुनिया के लगातार बढ़ते भरोसे और खुद पर उसके भरोसे के बारे में भी है। आज भारत, रक्षा प्रौद्योगिकी का केवल उपभोक्ता ही नहीं है, बल्कि एक उत्पादक और निर्यातक भी बन गया है। जब दुनिया उच्च-स्तरीय रक्षा प्रणालियों के लिए हमसे संपर्क करती है, तो यह केवल बाजार का संकेत नहीं है, यह हमारी क्षमता के लिए सम्मान है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अब से 10-11 साल पहले, हमारा रक्षा उत्पादन लगभग 43,000 करोड़ रुपये था। आज, यह निजी क्षेत्र द्वारा 32,000 करोड़ रुपये से अधिक के योगदान के साथ 1,46,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमारा रक्षा निर्यात, जो 10 साल पहले लगभग 600-700 करोड़ रुपये था, आज 24,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमारे हथियार, प्रणालियाँ, उप-प्रणालियाँ, घटक और सेवाएं लगभग 100 देशों तक पहुंच रही हैं। रक्षा क्षेत्र से जुड़े 16,000 से अधिक एमएसएमई आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ बन गए हैं।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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