
नई दिल्ली, 14 फरवरी : देश में प्रत्येक 15 मिनट में एक ऐसा बच्चा जन्म ले रहा है जो दिल में छेद यानि कंजेनिटल हार्ट डिजीज (सीएचडी) की समस्या से पीड़ित है। इसके चलते जहां ह्रदय रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं, खर्चीले उपचार और सरकारी क्षेत्र में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी सेंटरों की कमी के चलते सीएचडी पीड़ित बच्चों को कष्टप्रद जीवन जीना पड़ रहा है।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष एवं बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी के प्रो. दिनेश कुमार यादव ने कहा कि अनुमानतः जन्मजात हृदय दोष (सीएचडी) या दिल में छेद होने की समस्या से पीड़ित बच्चों की संख्या करीब दो लाख है। लेकिन उनके उपचार के लिए जरुरी बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी सेंटर की संख्या बेहद कम हैं। अगर पीड़ित बच्चे को जन्म के पहले वर्ष में ही इलाज मिल जाए तो उसकी सेहत और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हो सकती है।
नए केंद्र खोलने से बदल सकती है तस्वीर
हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के दिल की सिकुड़न, वाल्व की दिक्कत व अन्य गंभीर रोगों के इलाज के लिए सर्जरी जरुरी होती है। लेकिन बच्चों के हार्ट की सर्जरी की सुविधा उत्तर भारत में दिल्ली, जोधपुर, अलीगढ़ और जबलपुर में ही उपलब्ध है। जिनमें आरएमएल अस्पताल का बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी सेंटर भी शामिल है। लिहाजा, ऐसे नए केंद्र खोले जाने की जरूरत है जहां हार्ट सर्जन, बाल रोग चिकित्सक, प्रशिक्षित टेक्नीशियन और मशीनें उपलब्ध हो। इन केंद्रों में बाल रोग चिकित्सक भी इको टेस्ट करने में पारंगत हो, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
कैसे लाएं, सीएचडी पीड़ितों की संख्या में कमी ?
डॉ यादव ने कहा, गर्भवती महिलाओं को अच्छा पोषण, आयरन, फोलिक एसिड व विटामिन पर्याप्त मात्रा में दिए जाएं। इसके अलावा उन्हें पूर्ण टीकाकरण के साथ अल्ट्रासाउंड की सुविधा और स्त्री रोग विशेषज्ञ की निगरानी व परामर्श के साथ इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो कंजेनिटल हार्ट डिजीज (सीएचडी) से पीड़ित बच्चों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।
सीएचडी के लक्षण ?
जन्मजात हृदय दोष से पीड़ित बच्चे को मां का दूध पीने में दिक्कत होती है। दूध पीते समय पसीना आता है। इसके अलावा पसली चलना, निमोनिया होना, शारीरिक विकास न होना, वजन न बढ़ना, सीने में दर्द होना, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना या अनियमित होना, आसानी से थक जाना, चक्कर आना जैसी अनेक समस्याएं दिख सकती हैं। हालांकि सीएचडी के कुछ मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में, नियमित चिकित्सा परीक्षा या टेस्ट के जरिए ही सीएचडी का पता लगाया जा सकता है।
बच्चों के साथ मनाया सीएचडी सप्ताह
आरएमएल अस्पताल ने अपने बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी सेंटर में दिल में छेद का इलाज करवा चुके बच्चों व उनके अभिभावकों को वीरवार को आमंत्रित किया और उनके साथ सीएचडी जागरूकता सप्ताह मनाया। इस दौरान बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियों के साथ मनोरंजक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।
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