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नई दिल्ली: देश में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा, चिड़ियाघर में मृत बाघिन में मिला स्ट्रेन

नई दिल्ली: -यूपी के सभी चिड़ियाघर 20 मई तक बंद, लायन सफारी पर भी रोक

नई दिल्ली, 15 मई : एच5 एवियन इन्फ्लूएंजा यानि बर्ड फ्लू एक बार फिर देश में दस्तक दे रहा है जिसके चलते कानपुर के चिड़ियाघर में पटौदी नाम के शेर की मौत हो गई है। पटौदी को बर्ड फ्लू होने की आशंका जताई जा रही है जिसकी तस्दीक लैब रिपोर्ट आने के बाद होगी। इस बीच राजधानी दिल्ली का चिड़ियाघर भी अलर्ट हो गया है।

दरअसल, हाल ही में यूपी के गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खान चिड़ियाघर में एक बाघिन की मौत हो गई थी। उसके ब्लड सैंपल में बर्ड फ्लू के स्ट्रेन पाए गए थे। इस बाघिन के ब्लड सैंपल का परीक्षण भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में किया गया था। रिपोर्ट सामने आने के बाद राज्य सरकार ने लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर के चिड़ियाघरों के साथ- साथ इटावा में लायन सफारी सेवा भी 20 मई तक बंद कर दी है। साथ ही राज्य के सभी प्राणी उद्यानों को एक सप्ताह तक बंद रखे जाने के आदेश दिए गए हैं।

उधर, पटौदी शेर के खून के नमूने जांच को भेजे गए हैं। ब्लड रिपोर्ट भोपाल से आएगी। इसके बाद साफ होगा कि पटौदी को बर्ड फ्लू था या नहीं। फिलहाल, इसी माह यूपी में मरे दो अन्य जानवरों – एक भेड़िया और एक तेंदुआ – की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। जिनके नमूने का परीक्षण भोपाल में किया जा रहा है। बर्ड फ्लू के प्रसार में कमी लाने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने प्रमुख वन्यजीव संस्थानों से पशु चिकित्सकों और रोगविज्ञानियों की पांच सदस्यीय टीम तैनात की है। जो 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देगी।

क्या होता है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू एक इन्फ्लूएंजा वायरस है। यह जानवरों से पैदा होता है और लोगों में भी फैल सकता है। जंगली पक्षियों और मुर्गियों में बर्ड फ्लू का संक्रमण सबसे ज्यादा देखा जाता है। अब बर्ड फ्लू के लक्षण की बात करें तो यह आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 2 से 7 दिन बाद विकसित होते हैं। अक्सर यह मौसमी इन्फ्लूएंजा के जैसा ही होता है। इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, आंखों में लालिमा, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और थकान शामिल हो सकते हैं।

कैसे करें बचाव ?
एम्स दिल्ली के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर पीयूष रंजन ने बताया कि बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) से बचाव के लिए पोल्ट्री उत्पादों को अच्छे से पकाएं। कच्चे या अधपके पोल्ट्री मांस, अंडे या इससे जुड़े उत्पादों का सेवन न करें। मांस को कम से कम 70°C तक पकाएं ताकि वायरस नष्ट हो जाए। पोल्ट्री फार्म या पक्षियों के संपर्क से बचें:बीमार या मरे हुए पक्षियों को न छुएं। पोल्ट्री फार्म, मुर्गी बाजार या जंगली पक्षियों के क्षेत्र में जाने से बचें, खासकर अगर वहां बर्ड फ्लू का प्रकोप हो। खाना बनाने से पहले और बाद में हाथ अच्छे से साबुन और पानी से धोएं। रसोई के बर्तनों और सतहों को नियमित रूप से साफ करें।

डॉ रंजन ने कहा, संक्रमित क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें यानि बर्ड फ्लू प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें। अगर जाना जरूरी हो, तो मास्क और ग्लव्स का उपयोग करें। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें। संतुलित आहार लें, जिसमें विटामिन और खनिज शामिल हों। नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लें। बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बर्ड फ्लू के प्रकोप की खबरों पर नजर रखें। इन सावधानियों का पालन करके बर्ड फ्लू के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 

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