
नई दिल्ली, 26 फरवरी। आधुनिक मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तमाल’ जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाला है। इस विदेशी फ्रिगेट के स्वदेश पहुंचने के बाद भारत के बेड़े में सिर्फ स्वदेशी युद्धपोतों को ही जगह मिलेगी।
हालांकि देश में करीब 60 युद्धपोत स्वदेशी तकनीक से बनाए जा रहे हैं। लेकिन अंतिम विदेशी पोत को भारत लाने से पहले नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी तमाल की कार्यक्षमता, मजबूती, फायर और अन्य जरुरी जांच करने के लिए रूस के तटीय शहर कलिनिनग्राद पहुंचे हुए हैं।
सेना सूत्रों के मुताबिक तमाल, क्रिवाक III श्रेणी का फ्रिगेट है। यह स्टील्थ तकनीक और ब्रम्होस मिसाइल से लैस युद्धपोत है जिसे आईएनएस तुशील के साथ रूस में बनाया गया है। तुशील को बीते दिसंबर माह में नौसेना में कमीशन किया गया था जो 1500 समुद्री मील की यात्रा के बाद बीती 14 फ़रवरी को कारवार स्थित अपने ठिकाने पर पहुंच गया है। तमाल विदेश में निर्मित अंतिम युद्धपोत है जो तुशील के बाद भारत पहुंचेगा।
दरअसल, ये दोनों जहाज पिछले वर्ष अगस्त और दिसंबर में भारत को सौंपे जाने थे। लेकिन पहले कोरोना महामारी और फिर रूस – यूक्रेन युद्ध की वजह से इस परियोजना में देरी होती चली गई। चूंकि, रूस में बनाए जा रहे युद्धपोत का इंजन यूक्रेन से इंजन मंगाया जाना था।
बता दें कि भारत ने अक्टूबर 2018 में रोसोबोरोनएक्सपोर्ट से अपने नौसैनिक बेड़े के लिए दो युद्धपोत निर्माण का अनुबंध किया था। इन्हें कैलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में रूस के दो प्रोजेक्ट 1135.6 फ्रिगेट के तहत बनाया जाना था। ये दोनों जहाज वास्तव में अधूरे फ्रिगेट हैं जो मूल रूप से रूसी नौसेना के लिए थे। इन्हें एडमिरल बुटाकोव और एडमिरल इस्तोमिन नाम दिया गया था जो अब तुशील और तमाल के नाम से जाने जाते हैं।
इसके अलावा रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने नवंबर, 2018 में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ अनुबंध किया था जिसके तहत रुसी कंपनी भारतीय नौसेना के लिए जीएसएल में दो रूसी प्रोजेक्ट 11356 फ्रिगेट के निर्माण में सहायता करेगी। साथ ही लाइसेंस और प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण करेगी। अब ये जहाज क्रमशः जून 2026 और दिसंबर 2026 में भारतीय नौसेना को मिलने की उम्मीद है।