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नई दिल्ली: आयुर्वेद की कौमारभृत्य प्रणाली से स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत का निर्माण संभव : जाधव 

नई दिल्ली: -राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की ओर से बाल स्वास्थ्य पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

नई दिल्ली, 20 अगस्त : आयुर्वेद की कौमारभृत्य शाखा में निवारक, प्रोत्साहनात्मक और उपचारात्मक दृष्टिकोणों के समन्‍वय के साथ बाल स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन लाने की क्षमता है। पिछले दो दिनों में साझा किया गया सामूहिक ज्ञान, स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए शोध सहयोगों और व्यावहारिक मॉडलों को प्रेरित करेगा।

यह बातें राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) के 30वें राष्ट्रीय सेमिनार के सफल समापन अवसर पर केंद्रीय आयुष और स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने एक लिखित संदेश के माध्यम से कहीं। उन्होंने कहा, इस संगोष्ठी के परिणाम भारत के बाल चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा ढांचे को सुदृढ़ करेंगे। 18-19 अगस्त तक आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी में देश भर के प्रख्यात आयुर्वेद विद्वानों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और छात्रों सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस दौरान हुए विचार-विमर्श में बच्चों में रोग प्रबंधन और स्वास्थ्य संवर्धन पर विशेष ध्‍यान दिया गया, जिससे बाल स्वास्थ्य के प्रति आयुर्वेद के समग्र दृष्टिकोण को सामने लाया जा सका।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि इस संगोष्ठी ने बाल चिकित्सा आयुर्वेद में शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए एक मानक स्थापित किया है। उन्होंने साक्ष्य-आधारित सत्यापन के महत्व पर बल देते हुए आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा पद्धतियों के साथ समायोजित करने के लिए सहयोगात्मक अध्ययनों की आवश्यकता दर्शाई। वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए बाल चिकित्सा कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आरएवी और एआईआईए की भी प्रशंसा की। संगोष्ठी में आयुर्वेद में बाल स्वास्थ्य पर 20 वैज्ञानिक शोध पत्र पेश किए गए।

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