नई दिल्ली, 25 अक्तूबर : बुनियादी शिक्षा हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन व्यावसायिक शिक्षा एक विशेषाधिकार है जो समाज चुनिंदा लोगों को देता है। मेडिकल की एमबीबीएस शिक्षा भी ऐसी ही एक व्यावसायिक शिक्षा है जिसके लिए सरकार प्रत्येक छात्र पर 30-35 लाख रुपये खर्च करती है ताकि देश व समाज को उच्च प्रशिक्षित स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिल सकें।
यह बातें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के 53वें स्थापना दिवस और दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को कहीं। उन्होंने डॉक्टरों (नव मेडिकल स्नातकों) से अपने पेशेवर करियर की शुरुआत करते समय अधिक जिम्मेदारियां उठाने और अपने काम को करुणा, ईमानदारी व समर्पण के साथ करने का आग्रह किया। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना भी मौजूद रहे।
समारोह के दौरान 146 एमबीबीएस छात्रों, 145 एमडी व एमएस छात्रों, 17 बीएससी (एमटी) रेडियोलॉजी छात्रों और 4 एमएससी (आरएंडएमआईटी) छात्रों को डिग्री प्रदान की गई और 62 पुरस्कार दिए गए। इसके अतिरिक्त, मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी (एमएलटी) में 4 प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। नड्डा ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों के लिए मेधावी छात्रों को भी पुरस्कार प्रदान किए। इस दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रो. बलराम पाणि, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महेश वर्मा, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी, यूसीएमएस की प्रिंसिपल डॉ. अमिता सुनेजा और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
जल्द पूरा करेंगे 75,000 मेडिकल सीटें जोड़ने का वादा
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हाल ही में प्राप्त उपलब्धियों पर भी जोर दिया, जिसमें 22 एम्स की स्थापना, नए मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज, एमबीबीएस और एमडी सीटों में 100% से अधिक की वृद्धि आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले पांच वर्षों में 75,000 मेडिकल सीटें जोड़ने का वादा किया था और हम इसे पूरा करने जा रहे हैं।