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Kanwar Yatra: दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर से गुज़रे हज़ारों कांवड़िये, झांकियों और अनोखी कांवर के रूप ने खींचा ध्यान, ट्रैफिक व्यवस्था पर उठे सवाल

Kanwar Yatra: दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर से गुज़रे हज़ारों कांवड़िये, झांकियों और अनोखी कांवर के रूप ने खींचा ध्यान, ट्रैफिक व्यवस्था पर उठे सवाल

रिपोर्ट: रवि डालमिया

श्रावण मास के पवित्र अवसर पर दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर से हज़ारों की संख्या में कांवड़ यात्री हरिद्वार से गंगाजल लेकर निकले और शिवालयों में जलाभिषेक के लिए रवाना हुए। यह मार्ग कांवड़ यात्रियों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि यही रास्ता जीटी रोड, सीमापुरी, आनंद विहार, विवेक विहार अंडरपास होते हुए हरियाणा और राजस्थान के कांवड़ियों को भी जोड़ता है। भीड़ के बीच भगवान शिव के प्रति श्रद्धा की कई रंग-बिरंगी और अद्भुत झलकियाँ देखने को मिलीं।

इस बार कांवड़ यात्रा की एक विशेष बात यह रही कि भोले भक्तों ने कांवर को केवल साधारण यात्रा नहीं, बल्कि एक धार्मिक उत्सव और आस्था के भव्य प्रदर्शन में बदल दिया। कई कांवड़िए झांकियों के माध्यम से शिव के विकराल और रौद्र रूप को प्रदर्शित कर रहे थे, वहीं कुछ भक्त कंधों पर शिव की मूर्ति को बिठाकर आगे बढ़ते नज़र आए। इन झांकियों में लाइट, संगीत और रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजाए गए झांकी वाहन श्रद्धालुओं और राहगीरों का ध्यान खींचते रहे।

इस बार का सबसे आकर्षक दृश्य तब देखने को मिला जब एक भोले भक्त ने शिव के बाल स्वरूप की इलेक्ट्रॉनिक टॉय प्रतिमा तैयार की, जो चलती-फिरती प्रतीत हो रही थी। यह भक्त शिव की उस मूर्ति को गोदी में उठाए हुए था और हरिद्वार से लाया गया गंगाजल अपने घर की ओर लेकर बढ़ रहा था। लोगों ने इस नवाचार और भक्ति भाव की खूब सराहना की।

हालांकि, आस्था और उल्लास के इस माहौल के बीच दिल्ली में ट्रैफिक की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई। अप्सरा बॉर्डर, सीमापुरी, आनंद विहार और आसपास के क्षेत्रों में कांवड़ियों की भारी भीड़ के कारण यातायात व्यवस्था कई बार प्रभावित हुई। वाहनों की लंबी कतारें देखी गईं और आम जनता को काफी देर तक जाम में फंसे रहना पड़ा।

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली पुलिस ने पहले से ही विशेष प्रबंध किए थे। कई जगहों पर बेरिकेट्स लगाए गए, ट्रैफिक डायवर्जन किया गया और पुलिस व स्वयंसेवक तैनात किए गए। लेकिन भीड़ की अप्रत्याशित संख्या ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। आयोजक समिति ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे 16 साल से यह कांवड़ कैंप आयोजित कर रहे हैं और इस बार उन्हें सरकार से ज्यादा सहयोग की उम्मीद थी, लेकिन व्यवस्था अपेक्षा के अनुसार नहीं हो सकी।

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