
INS Sahyadri: आईएनएस सह्याद्रि ‘मालाबार 2025’ में शामिल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ेगा सामरिक सहयोग
भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास शुरू
नई दिल्ली,
भारतीय नौसेना का अत्याधुनिक गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्रि रविवार को उत्तरी प्रशांत महासागर स्थित गुआम पहुंच गया है, जहां वह बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार 2025’ में भाग ले रहा है। यह प्रतिष्ठित अभ्यास 10 नवंबर से 18 नवंबर 2025 तक आयोजित होगा।
आत्मनिर्भर भारत की पहचान बना आईएनएस सह्याद्रि
आईएनएस सह्याद्रि को भारतीय नौसेना के लिए पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह भारतीय शिपयार्ड की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भर भारत मिशन की भावना का प्रतीक है। यह युद्धक पोत पहले भी कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों में हिस्सा लेकर अपनी दक्षता साबित कर चुका है।
‘मालाबार 2025’: क्वाड देशों का सामरिक तालमेल
इस वर्ष का ‘मालाबार अभ्यास’ चार देशों — भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया — के बीच आयोजित हो रहा है। इसका उद्देश्य क्वाड गठबंधन के सदस्य देशों के बीच समुद्री सहयोग, रणनीतिक समन्वय और अंतरसंचालनीयता को और अधिक मजबूत करना है।
यह अभ्यास एक मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा को आगे बढ़ाने का प्रतीक माना जा रहा है।
जटिल नौसैनिक अभियानों की तैयारी
अभ्यास के दौरान विभिन्न उन्नत नौसैनिक अभियानों का संचालन किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं —
सतह-विरोधी युद्ध अभ्यास (Anti-Surface Warfare)
पनडुब्बी-विरोधी अभियान (Anti-Submarine Warfare)
वायु रक्षा प्रशिक्षण (Air Defence Exercise)
सामरिक समन्वय और आपातकालीन प्रतिक्रिया मिशन
इन अभियानों के माध्यम से भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के बीच रियल-टाइम समन्वय, सामरिक तालमेल और तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने का अवसर मिलेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका
‘मालाबार 2025’ अभ्यास में भारत की सक्रिय भागीदारी न केवल उसकी समुद्री शक्ति और रणनीतिक साझेदारी को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी मजबूती देती है। इस अभ्यास के माध्यम से भारत एक जिम्मेदार समुद्री साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को और सशक्त बना रहा है।





