Delhi News : भारत का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र तभी फल-फूल सकता है जब स्थानीय प्रासंगिकता को अपने मूल रणनीति में गहराई से समाहित करे : उदय शंकर
भारतीय मीडिया और मनोरंजन (M&E) उद्योग एक असाधारण परिवर्तन के...

Delhi News : (डॉ. अनिल सिंह) भारतीय मीडिया और मनोरंजन (M&E) उद्योग एक असाधारण परिवर्तन के कगार पर खड़ा है, जो आने वाले दशकों में तीव्र विकास के लिए तैयार है। (WAVES Sumit 2025) में जियोस्टार के उपाध्यक्ष और उद्योग के अग्रणी उदय शंकर ने इस क्षेत्र के विकास का विश्लेषण प्रस्तुत किया और एक सशक्त दृष्टिकोण साझा किया जो स्थानीय सामग्री, रचनात्मक प्रतिभा और लक्षित विनियमन पर आधारित है। उनका संदेश स्पष्ट था कि भारत का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र तभी फल-फूल सकता है जब वह स्थानीय प्रासंगिकता को अपने मूल रणनीति में गहराई से समाहित करे।

स्ट्रीमिंग सेवाओं की तीव्र वृद्धि
पिछले 25 वर्षों में उद्योग की असाधारण वृद्धि को याद करते हुए उदय शंकर ने बताया कि कैसे 1990 के दशक में उपग्रह टेलीविजन की लगभग आकस्मिक शुरुआत के बाद भारतीय दृश्य मीडिया दुनिया के सबसे जीवंत वीडियो बाज़ारों में से एक बन गया है। भारतीय टेलीविजन जो विशिष्ट रूप से सशक्त रहा है, आज भी स्ट्रीमिंग सेवाओं की तीव्र वृद्धि के साथ मजबूती से खड़ा है, जबकि कई देशों में यह घट चुका है। उन्होंने इस स्थिरता का श्रेय घरेलू उद्यमिता, मजबूत स्थानीय सामग्री और भारतीय निवेश को दिया, यह दर्शाते हुए कि भारत की M&E सफलता की कहानी मुख्यत स्वदेशी है।
तेजी से बदलती दर्शकों की पसंद
2047 के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर देखते हुए उदय शंकर ने तीन प्रमुख स्तंभों को रेखांकित किया जो भविष्य में क्षेत्र की वृद्धि को निर्धारित करेंगे। सबसे पहले उन्होंने अत्यधिक स्थानीयकृत सामग्री के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने इस विचार को सिरे से खारिज किया कि वैश्विक सामग्री को आयात कर भारतीय दर्शकों को दीर्घकालिक रूप से जोड़ा जा सकता है। भारत के दर्शक विविध हैं, जिनकी सांस्कृतिक और भाषाई प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं। इसलिए सामग्री को स्थानीय संवेदनशीलताओं के साथ गहराई से जुड़ना चाहिए। उन्होंने रचनाकारों को चेतावनी दी कि वे आत्मसंतुष्ट न हों और तेजी से बदलती दर्शकों की पसंद के साथ स्वयं को लगातार विकसित करें।
महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप
उन्होंने वितरण के क्षेत्र में और गहराई लाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत में डेटा और कनेक्टिविटी की क्रांति के साथ, मीडिया परिदृश्य बदल रहा है। उन्होंने कहा कि सामग्री वितरण को एक जैसे प्रारूप में नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे क्षेत्रीय और भाषाई विविधताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाना चाहिए।तीसरे और महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उन्होंने भारत के रचनात्मक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता को बताया। उन्होंने कहा कि आज पूंजी की कोई कमी नहीं है, बल्कि समस्या है कुशल कहानीकारों, पटकथा लेखकों, निर्माताओं, निर्देशकों और कलाकारों की कमी की।
पुनरुद्धार के लिए मार्गदर्शन प्रदान
उन्होंने कहा कि यह रचनात्मक प्रतिभा की कमी उद्योग की विकास क्षमता पर एक बड़ा खतरा बन गई है, उन्होंने कहा कि आज के दर्शक अक्सर रचनाकारों से आगे होते हैं। इस अंतर को पाटने के लिए नए प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना, नवाचारपूर्ण कहानियों को बढ़ावा देना और प्रशिक्षण व मार्गदर्शन की व्यवस्था करना आवश्यक है। उदय शंकर ने बॉलीवुड की मौजूदा चुनौतियों पर भी स्पष्ट टिप्पणी की, खासकर उत्तर भारत में घटती बॉक्स ऑफिस कमाई को लेकर। इसके विपरीत दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री जैसे तमिलनाडु, तेलुगु राज्यों और कर्नाटक में फिल्में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने बॉलीवुड की समस्याओं के लिए रचनात्मक जड़ता, नए कथा रूपों को अपनाने में हिचकिचाहट और नई प्रतिभाओं को पर्याप्त अवसर न देना जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सिनेमा स्क्रीन की सीमित उपलब्धता और टिकट की महंगी कीमतों को भी बाधा बताया। दक्षिण भारत की समृद्ध फिल्म संस्कृति, कम कीमत वाले टिकटों और व्यापक थिएटर नेटवर्क के माध्यम से, उत्तर भारतीय बाजार के पुनरुद्धार के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।
बाजार की संभावनाएं विशाल
निवेश के मामले में उदय शंकर ने घरेलू मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री निर्माण के अभूतपूर्व पैमाने को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जियोस्टार ने अकेले 2024 में सामग्री पर लगभग 25,000 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2025 में यह राशि 30,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। ये निवेश भारतीय बाजार में विश्वास और दर्शकों की प्राथमिकताओं को समझने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।जियोस्टार के विलय पर बात करते हुए उदय शंकर ने आरंभिक परिणामों पर संतोष व्यक्त किया। भविष्यवाणियों के विपरीत पे-टीवी ग्राहकों की संख्या में वृद्धि हुई है जो उपभोक्ताओं की फिर से जुड़ाव को दर्शाता है। स्ट्रीमिंग के क्षेत्र में भी, उन्होंने उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत दिया, यह बताते हुए कि यदि वहन करने योग्य कीमतों और पहुंच को प्राथमिकता दी जाए, तो बाजार की संभावनाएं विशाल हैं।
भिन्न-भिन्न विनियमन होने चाहिए
हालांकि उदय शंकर ने उद्योग में नियामकीय ढांचे के पिछड़ेपन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने तर्क दिया कि विभिन्न मीडिया प्रारूपों, टेलीविजन, डिजिटल और स्ट्रीमिंग के लिए भिन्न-भिन्न विनियमन होने चाहिए क्योंकि उनकी चुनौतियां और विकास की अवस्थाएं अलग-अलग हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कठोर और समान नियम नवाचार को बाधित कर सकते हैं। उदय शंकर ने नवाचारपूर्ण राजस्व मॉडल की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि भविष्य में सफलता पारंपरिक विज्ञापन और सदस्यता से परे नए मॉडलों पर निर्भर करेगी। यह रचनात्मकता, लचीलापन और राजस्व उत्पादन में नवाचार की मांग करता है।
निष्कर्ष और आगे की दिशा
उदय शंकर का मूल्यांकन भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट और व्यवहारिक रोडमैप प्रस्तुत करता है। उद्योग को अपनी विशाल संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए सामग्री निर्माण, वितरण और रचनात्मक प्रतिभा के विकास में स्थानीयता आधारित दृष्टिकोण अपनाना होगा। नई प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने और कहानियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक ढांचे को मजबूत करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, बॉलीवुड को नई आवाजों को अपनाना होगा और समावेशी कहानियों की ओर रुख करना होगा, जैसे कि दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में देखा गया है।