Indian Military Academy: इंडियन मिलिट्री एकेडमी के 255 अफसरों ने सैन्य सेवा की सिल्वर जुबली गर्व और सम्मान के साथ मनाई

Indian Military Academy: इंडियन मिलिट्री एकेडमी के 255 अफसरों ने सैन्य सेवा की सिल्वर जुबली गर्व और सम्मान के साथ मनाई
नई दिल्ली। वर्ष 2000 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करने वाले इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून के 107 रेगुलर कोर्स के अधिकारियों ने अपनी सैन्य सेवा के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सिल्वर जुबली समारोह का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर कुल 416 कैडेटों में से 255 अधिकारी आईएमए पहुंचे और अपनी यादों, अनुभवों और गौरवशाली यात्रा को साझा किया। यह आयोजन न केवल एक पुनर्मिलन था, बल्कि भारतीय सेना की सेवा, बलिदान और गौरवशाली परंपराओं का जीवंत उदाहरण भी बना।
पिछले ढाई दशकों में 107 रेगुलर कोर्स के अधिकारियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशनल माहौल में अपनी असाधारण पेशेवर क्षमता, नेतृत्व कौशल और रणनीतिक समझ का प्रदर्शन किया। इन अधिकारियों ने आतंकवाद विरोधी अभियानों, सीमावर्ती क्षेत्रों, उच्च हिमालयी इलाकों और संवेदनशील आंतरिक सुरक्षा अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनके योगदान ने भारतीय सेना की संचालन क्षमता और अनुशासन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
इस कोर्स की उपलब्धियां भारतीय सेना के इतिहास में विशेष स्थान रखती हैं। 107 रेगुलर कोर्स के अधिकारियों को अब तक 47 वीरता पुरस्कार और 176 विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जो इनके साहस, समर्पण और उत्कृष्ट सेवा का प्रमाण हैं। ये सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों का प्रतीक हैं, बल्कि पूरे कोर्स और भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को भी दर्शाते हैं।
सिल्वर जुबली समारोह के दौरान उन वीर अधिकारियों को भी श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने कर्तव्य पालन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया। इस कोर्स के 10 बहादुर अधिकारियों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए। समारोह में शहीद साथियों की स्मृति में उनके परिजनों को सम्मानित किया गया। दो शहीदों के परिजन विशेष रूप से इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जिससे माहौल भावुक और गर्व से भरा हुआ रहा। उपस्थित अधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि शहीदों का बलिदान हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
इंडियन मिलिट्री एकेडमी के परिसर में आयोजित यह समारोह अनुशासन, भाईचारे और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत रहा। पुराने साथियों से मुलाकात, प्रशिक्षण के दिनों की यादें और सेवा के अनुभवों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। अधिकारियों ने एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए भारतीय सेना के प्रति अपनी अटूट निष्ठा और समर्पण को दोहराया।





