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इलाज के बगैर अस्पताल से रोजाना लौट रहे करीब 95 हजार मरीज

-अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों को ही मिलती है विश्राम भवन में जगह

नई दिल्ली, 16 अगस्त : महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में एक दिन की सांकेतिक हड़ताल से शुरू हुई अव्यवस्था चरम पर पहुंच गई है। इस हड़ताल के चलते जहां रोजाना करीब 95 हजार से अधिक मरीजों को उपचार के बिना विभिन्न अस्पतालों से लौटना पड़ रहा है। वहीं, गंभीर बीमारी वाले मरीजों के उपचार के लिए प्लान की गई करीब 500 से 600 सर्जरी भी रोजाना टल रही हैं।

दरअसल, दिल्ली के तमाम सरकारी अस्पताल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में घटी घटना के विरोध में पांच दिन से हड़ताल पर हैं। इस वजह से एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग, लोकनायक, जीबी पंत, गुरु नानक आई सेंटर, जीटीबी, डीडीयू समेत लगभग सभी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं, नई सर्जरी और लैब जांच सुविधाएं ठप पड़ी हैं। कुल मिलाकर राष्ट्रीय राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है जिससे सरकारी अस्पतालों की ओर रुख करने वाले गरीब मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इनमें भी दिल्ली की पुनर्वास कालोनियों के निवासी और बिहार, यूपी, समेत दूर-दराज के इलाकों से आने वाले मरीजों की संख्या सर्वाधिक है।

अस्पतालों में इलाज न मिलने के चलते मरीजों को हो रही परेशानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच दिनों में दिल्ली के अस्पतालों में करीब पांच लाख से अधिक मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया है। जबकि विभिन्न गंभीर रोगों के चलते सर्जरी के विकल्प वाले करीब तीन हजार मरीजों की सर्जरी टाल दी गई हैं। यह स्थिति केवल दिल्ली की है। बाकी अन्य 25 राज्यों की स्थिति भी कमोबेश यही बनी हुई है। वहीं एम्स, सफदरजंग, लोकनायक व आरएमएल अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों ने कहा कि नए ओपीडी कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं, जिनके पास अपॉइंटमेंट और पुराना ओपीडी कार्ड है, उन्हें फैकल्टी डॉक्टर देख रहे है। बता दें कि केवल एम्स में ही प्रतिदिन 14 से 15 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं।

आठ दिन डॉक्टरों की हड़ताल, बाद में आना
बिहार के जिला कटिहार से आए मरीज के परिजन फिरोज आलम ने बताया कि उसकी बेटी के पेट में टयूमर है। वह 14 अगस्त को एम्स आए। उस दिन हड़ताल के कारण डॉक्टर ने नहीं देखा। शुक्रवार को गार्ड ने अंदर जाने नहीं दिया, कहा अभी 8 दिन तक डॉक्टरों की हड़ताल है, बाद में आना।

आंख की सर्जरी के लिए एक अक्टूबर की दी डेट
आगरा से इलाज के लिए आए मोहम्मद मुबीन ने कहा कि उनकी दायीं आंख का पर्दा फट गया है। 16 अगस्त को आंख का ऑपरेशन होना था। अब डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 1 अक्टूबर की डेट दे दी है। वहीं एक अन्य मरीज को एक महीने बाद आने के लिए कहा गया है। मरीज गैस्टिक की बीमारी से पीड़ित है।

नहीं मिल रहा ट्यूमर का इलाज
बिहार के पूर्णिया जिला से आई फातिमा ने कहा कि उनकी बेटी के सिर में ट्यूमर है। पटना में इलाज चला, अब वहां से एम्स में इलाज के लिए कहा है। चार दिन से एम्स में आए हैं लेकिन कार्ड नहीं बन रहा है। गार्ड बाेल देते है कि डॉक्टरों की हड़ताल है। हड़ताल खत्म होने के बाद ही नए ओपीडी कार्ड बनाए जाएंगे। यहां रहने और खाने पीने की दिक्कत है। अब वापिस जाना भी काफी रिस्की है।

तीन दिन से नहीं बन रहा ओपीडी पर्चा
बिहार के जिला समस्तीपुर से इलाज के लिए एम्स आए राम प्रसाद ने बताया कि उन्हें गले का कैंसर है। तीन दिन से रोज ओपीडी में आ रहे है, पर्चा नहीं बन रहा। कभी मेट्रो स्टेशन के पास रात गुजारनी पड़ती है तो कभी बारिश के चलते अंडरपास में रहना पड़ता है। आसपास रहने की कोई व्यवस्था भी नहीं है। लॉज या होटल में रहने के लिए पैसे नहीं है।

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