उत्तर प्रदेश, नोएडा: 257 करोड़ खर्च के बावजूद नहीं सुधरी विद्युत व्यवस्था
उत्तर प्रदेश, नोएडा: 257 करोड़ खर्च के बावजूद नहीं सुधरी विद्युत व्यवस्था

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। जिले में विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति दिए जाने के लिए जिले को 257 करोड़ रुपये बजट का बूस्टर डोज दिया गया। इस बजट से विद्युत लाइनों में सुधार, उपकेंद्रों की क्षमता में बढ़ोतरी समेत अन्य काम कराने थे। बजट के करीब दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विद्युत निगम मरम्मत और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के काम को पूरा नहीं करा पाया है। इसका सीधा असर नोएडा जोन के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है।
जिले में तेजी से आबादी बढ़ने के साथ सैकड़ों बहुमंजिला सोसाइटी खड़ी हो गई। औद्योगिक सेक्टर में भी निवेश बढ़ा है। इसके चलते बिजली की मांग में भी कई गुना इजाफा हुआ है। मांग के अनुरूप बिजली आपूर्ति भी नोएडा जोन को मिल रही है, लेकिन जर्जर हो चुके लाइन पर ओवर लोड करंट नहीं दौड़ पा रहा है। इसके चलते आए दिन फाल्ट और ट्रांसफार्मर फूंकने की समस्या भी आ रही है। कटौती की समस्या को देखते हुए विद्युत निगम ने 257 करोड़ रुपये बिजली ढांचे की क्षमता बढ़ाने पर खर्च कर दिए। इसमें 154 करोड़ रुपये रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस), 31 करोड़ बिजनेस प्लान व 72 करोड़ रुपये शहरी क्षेत्र में सुधार के लिए मिले।
निगम अधिकारियों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इस बार बिजली की समस्या नहीं आएगी, लेकिन स्थिति हर बार की तरह जस की तस बनी हुई है। तेजी से वैश्विक शहर बनने की राह पर आगे बढ़ रहे गौतमबुद्धनगर में निर्बाध बिजली आपूर्ति मुहैया कराने में विद्युत निगम का पूरा सिस्टम हांफने लगा है। अधिक गर्मी के कारण फीडर से लेकर वितरण ट्रांसफार्मर और उपकेंद्रों में फाल्ट हो रहे हैं। सोमवार को सेक्टर-49 नोएडा और जेवर क्षेत्र में तकरीबन पूरे दिन लोगों को बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ी।
विद्युत निगम का दावा हवाई
आरडीएसएस के तकरीबन 70 प्रतिशत काम ही अभी तक पूरा हो सका है। इसके तहत कुल 190 फीडरों की मरम्मत के साथ एबी केबल, सड़े-गले पोल, जर्जर तार, कंडक्टर, सीटी समेत अन्य उपकरणों के मरम्मत के काम होने हैं। इसे दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो सका है। वहीं बिजनेस प्लान के तहत करीब 80 प्रतिशत काम पूरा होने का दावा है, लेकिन जमीनी हकीकत इनसे कोसों दूर है। अधीक्षण अभियंता प्रथम विवेक पटेल का कहा है कि मरम्मत का काम अंतिम चरण में चल रहा है।
1800 मेगावाट के आसपास है डिमांड
जिले में बिजली की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में 1800 मेगावाट तक बिजली की मांग पहुंच चुकी है। औसत मांग 1300 मेगावाट तक रहती है। अगर गर्मी का यही स्तर बना रहा तो आने वाले दिनों में बिजली की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।
मौजूदा बिजली ढांचा
33 उपकेंद्र की संख्या :100
11 केवी उपपकेंद्र : 566
डीटी ट्रांसफार्मर : 24631
कुल उपभोक्ता : करीब 3.60 लाख।