
Delhi News : दक्षिण एशिया के सामरिक संतुलन को नई दिशा देने वाला घटनाक्रम सामने आया, जब पाकिस्तान ने भारत के साथ तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई। यह निर्णय भारत की सैन्य और कूटनीतिक शक्ति के सम्मिलित प्रभाव का परिणाम था। जहां भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्रवाई ने पाकिस्तान की सैन्य संरचना को हिला दिया और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वैश्विक अपील तथा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री की स्वीकारोक्ति ने कूटनीतिक मोर्चे को मजबूती दी।

पाकिस्तानी सैन्य अड्डों पर भीषण हमला किया
लेखक डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा हुए नृशंस हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सटीक और प्रभावशाली सैन्य अभियान चलाया। राफेल लड़ाकू विमानों के नेतृत्व में भारतीय वायुसेना ने आतंकियों के ठिकानों और पाकिस्तानी सैन्य अड्डों पर भीषण हमला किया, जिससे पाकिस्तान के लगभग आधे सक्रिय एयरबेस निष्क्रिय हो गए। हालांकि संघर्षविराम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद शनिवार रात पाकिस्तान ने एक बार फिर सीमा क्षेत्रों में गोलीबारी और बमबारी शुरू कर दी। खासतौर से जम्मू, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में। यह स्पष्ट उल्लंघन अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत के लिए चौंकाने वाला था। मगर भारत सरकार ने इस बार किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्पष्ट कर दिया कि संघर्षविराम का उल्लंघन अब स्वीकार्य नहीं होगा।
रणनीतिक रूप से निर्णायक थी
उन्होंने कहा भारत के कड़े रुख और राजनीतिक सैन्य दबाव के चलते, पाकिस्तान रविवार सुबह से गोलाबारी और बमबारी को पूरी तरह रोकने के लिए मजबूर हो गया। यह भारत की दृढ़ता और उसकी रक्षा नीति की स्पष्ट सफलता है। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ‘X’ पर की गई अपील ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित किया, वहीं पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री की स्वीकारोक्ति कि उनके सैन्य ढांचे को गंभीर नुकसान हुआ है। इसने स्पष्ट कर दिया कि भारत की सैन्य प्रतिक्रिया केवल सामरिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से निर्णायक थी।
निष्कर्ष और आगे की राह
उन्होंने कहा राफेल विमानों के माध्यम से किया गया भारत का सैन्य अभियान न केवल पाकिस्तान के सैन्य तंत्र को ध्वस्त करने वाला सिद्ध हुआ, बल्कि यह भी दिखा गया कि भारत अब आतंक के विरुद्ध एक नई परिभाषा में सटीक, त्वरित और निर्णायक जवाब देगा। जहां एक ओर बंदूकें शांत हो चुकी हैं, वहीं टिकाऊ शांति की राह अब संवाद और विश्वास पर टिकी है। भारत और पाकिस्तान दोनों को अब समझना होगा कि बार-बार का टकराव दोनों देशों के लिए नुकसानदेह है।
ताकत जिम्मेदारी से प्रयोग
उन्होंने कहा भारत अब दक्षिण एशिया में न केवल सैन्य ताकत के रूप में, बल्कि एक जिम्मेदार शांति-प्रवर्तक राष्ट्र के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की नीति अब स्पष्ट है कि आतंक का मुंहतोड़ जवाब भी और शांति की पहल भी।यह नया भारत केवल जवाब देने में सक्षम नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक ऐसा मार्ग प्रशस्त कर रहा है जिसमें ताकत जिम्मेदारी से प्रयोग हो और शांति आत्मविश्वास से हासिल की जाए।