घोटालों के दम पर ‘धनकुबेर’ बने मोहिंदर सिंह
-बहुत कम कीमत पर बिल्डरों को जमीन बांटी

अमर सैनी
नोएडा। शारदा एक्सपोर्ट कंपनी के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की। इसमें पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित घर पर छापेमारी कर 7 करोड़ रुपये के हीरे बरामद किए गए। मोहिंदर सिंह नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और चेयरमैन रह चुके हैं।
नोएडा में उनसे जुड़े कई मामलों की जांच सरकार और दूसरी एजेंसियां कर रही हैं। उन्होंने करीब पांच साल तक नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में काम किया। असल मायनों में नोएडा अथॉरिटी को दिवालिया बनाने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका रही।
मोहिंदर सिंह को 30 नवंबर 2007 को नोएडा अथॉरिटी का सीईओ नियुक्त किया गया था। उस समय बीएसपी सत्ता में थी। इस दौरान नियमों की अनदेखी की गई और बड़े पैमाने पर बिल्डरों को फायदा पहुंचाया गया। बिना सरकारी आदेश के नोएडा अथॉरिटी ने अपने वीटो का इस्तेमाल कर बिल्डरों को सिर्फ 10 फीसदी पैसा लेकर जमीन आवंटित कर दी। पहले 30 फीसदी पैसा लिया जाता था। स्पोर्ट्स सिटी के विभिन्न प्रोजेक्ट में पीएसी की इस आपत्ति का जवाब आज तक प्राधिकरण नहीं दे पाया है। किस सरकारी आदेश के तहत बिल्डर को यह लाभ दिया गया। पूरा सेक्टर-75 इसी आवंटन दर पर दिया गया। यही वजह है कि बिल्डरों ने छोटे-छोटे कंसोर्टियम बनाकर खूब जमीन आवंटित की। आज भी प्राधिकरण पर बिल्डर का करीब 26 हजार करोड़ बकाया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लाखों खरीदारों की रजिस्ट्री नहीं हो सकी और न ही उन्हें अपने सपनों का घर मिल सका। दरअसल, बिल्डरों ने जमीन लेकर स्कीम लॉन्च कर दी। इसके बाद बुकिंग अमाउंट लेकर दूसरी कंपनियों में पैसा डायवर्ट कर दिया। अब इस रकम को वापस दिलाने के लिए अमिताभ कांत की संस्तुति लेकर राज्य सरकार आई है। लेकिन अभी तक बकाया पैसा नहीं मिल सका।
2000 करोड़ रुपये का फार्म हाउस घोटाला
यमुना किनारे स्कीम लाकर सस्ते दामों पर फार्म हाउस आवंटित किए गए। प्राधिकरण ने ओपन एंड स्कीम के तहत दो बार 2008 और 2010 में फार्म हाउस योजना लांच की। दोनों बार 305 आवेदन स्वीकार किए गए। इसमें से 157 आवंटियों को 18 लाख 37 हजार 340 वर्ग मीटर के भूखंड आवंटित किए गए। कैग ने बताया कि 2008-09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से भूखंड आवंटित किए गए। जबकि उस समय प्रचलित दर 15 हजार 914 रुपये थी। 2009-10 में भी इसी दर पर 43 भूखंड आवंटित किए गए। उस समय प्रचलित दर 16 हजार 996 रुपये थी। 2010-11 में 3500 रुपये की दर से 83 भूखंड आवंटित किए गए। जबकि दर 17 हजार 556 रुपये थी। यह घोटाला दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का था।
संस्थागत श्रेणी में कॉरपोरेट सेक्टर को बेचा
प्लॉट स्कीम 11 अक्टूबर 2008 से 28 अगस्त 2012 के बीच लाई गई थी। कॉरपोरेट इस्तेमाल के लिए बनाए गए 2023 प्लॉट संस्थागत श्रेणी में बेचे गए। इससे प्राधिकरण को 3031 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। इसके अलावा नोएडा में बने राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल को एमओयू के तहत महज 84 करोड़ में बनाया गया। इस मामले में हजार करोड़ का घोटाला किया गया। इसकी जांच अभी भी चल रही है।
सुपरटेक और आम्रपाली को दिया गया फायदा
2007 से 2010-11 तक आम्रपाली बिल्डर को अवैध तरीके से जमीन आवंटित की गई। इसके साथ ही ट्विन टावर के लिए सुपरटेक को अवैध तरीके से एफएआर बेचा गया। उसे ग्रीन बेल्ट में निर्माण करने की इजाजत दी गई।इसका फायदा उठाकर सुपरटेक ने स्यान और एपेक्स नाम की दो गगनचुंबी इमारतें खड़ी कर दीं। जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त 2022 को गिरा दिया गया। इस मामले में विजिलेंस विभाग ने मोहिंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया था।
सीएजी ने की पुष्टि
मोहिंदर सिंह को बीएसपी नेताओं का बेहद करीबी माना जाता है। 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद सीएजी ने 2005 से 2015 तक प्राधिकरण में हुई वित्तीय अनियमितताओं की जांच की थी। सबसे ज्यादा वित्तीय घोटाले भी मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में ही हुए थे। फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है।