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एम्स के सर्जन संग ओटी टीम भी बनेगी रोबोटिक सर्जरी में पारंगत

- जल्द ही रोबोटिक पद्धति से किडनी और लिवर जैसे अंगों का प्रत्यारोपण करेगा एम्स

नई दिल्ली, 24 सितम्बर : भारत में कैंसर, मूत्र संबंधी और स्त्री रोग संबंधी बीमारियों के निदान के लिए रोबोटिक सर्जरी जैसी उन्नत तकनीकों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसे पूरा करने के लिए एम्स दिल्ली ने इंट्यूटिव ग्लोबल के साथ एक अनूठा करार किया है।

इस करार के तहत कंपनी न सिर्फ एम्स परिसर में रोबोटिक मशीनों का सेटअप लगाएगी। बल्कि सर्जनों को रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी और वो भी मुफ्त। करार पर एम्स की ओर से निदेशक डॉ एम श्रीनिवास और अमेरिकी कंपनी इंट्यूटिव ग्लोबल की ओर से सीईओ गैरी एस. गुथार्ट ने मंगलवार को हस्ताक्षर किए। इस दौरान एम्स के अतिरिक्त निदेशक कर्ण सिंह और सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ वीके बंसल भी मौजूद रहे। इस अवसर पर डॉ वीके बंसल ने कहा कि आज के करार पर हस्ताक्षर होने के साथ ही एम्स दिल्ली देश का एकमात्र संस्थान बन गया है जिसके पास इंट्यूटिव, मेडट्रॉनिक्स और मंत्र कंपनी से प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए प्राप्त रोबोटिक सिस्टम हैं। इन मशीनों से एम्स की सर्जिकल उत्कृष्टता और रोबोटिक प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टरों की उपलब्धता के मामले में अग्रणी संस्थान होने की स्थिति बरकरार रखी जा सकेगी। डॉ बंसल ने कहा, जल्द ही एम्स रोबोटिक पद्धति से किडनी और लिवर जैसे अंगों का प्रत्यारोपण करेगा।

डॉ बंसल ने कहा, एम्स दा विंची आरएएस प्रशिक्षण केंद्र सर्जनों और ओटी सहित देखभाल टीमों को यूरोलॉजी, स्त्री रोग, सामान्य सर्जरी और अन्य सहित विभिन्न विशेषज्ञताओं में रोबोट-सहायता प्राप्त सर्जरी करने के लिए आवश्यक कौशल और प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण से लैस करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह सहयोग भारत में रोबोटिक-सहायता प्राप्त सर्जरी को अपनाने को बढ़ावा देगा, जिससे अधिक सर्जनों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकेगा। फिलहाल एम्स में करीब 100 डॉक्टर रोबोटिक सर्जरी में प्रशिक्षित हैं। नए सेटअप की शुरुआत होने के बाद इनकी संख्या में इजाफा होगा जिससे मेडिकल के ईएनटी समेत तमाम अन्य क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी संपन्न हो सकेगी।

रोबोटिक सर्जरी के लाभ
रोबोटिक तकनीक की मदद से सर्जरी के दौरान सर्जन को मरीज के जिस्म में बड़े चीरे नहीं लगाने पड़ते , छोटे चीरों से ही उपचार संपन्न हो जाता है। जिससे रक्तस्राव कम होता है। जख्म छोटा होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है। यानी उसकी हेल्थ तेजी से रिकवर होती है। सर्जरी के कुछ ही समय बाद मरीज काम पर जाने में सक्षम हो जाता है जबकि पारंपरिक सर्जरी के बाद उसे काफी लम्बे वक्त तक आराम करना पड़ता है।

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