नई दिल्ली, 25 सितम्बर : एम्स दिल्ली के बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री कोर्स के लिए नया करिकुलम लागू करने की मांग अब अलग कॉलेज की मांग पर पहुंच गई है, जिसे लेकर एम्स प्रशासन मौन है। हालांकि, एम्स निदेशक द्वारा आंदोलनकारी छात्रों को धरना स्थल पर बिजली के पंखे और पेयजल की सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
दरअसल, छात्रों का कहना है कि एम्स दिल्ली में विभिन्न विषयों को लेकर मेडिकल की शिक्षा प्रदान की जाती है जिसके लिए यूजी और पीजी कॉलेज से लेकर नर्सिंग कॉलेज तक मौजूद हैं। इस वजह से, सभी विषयों के छात्र- छात्राओं को अपने स्पेशलाइज्ड कोर्स के हिसाब से करिकुलम या पाठ्यचर्या और फैकल्टी की सुविधा आसानी से मिल जाती है। लेकिन बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री कोर्स के लिए एम्स में स्पेशलाइज्ड शिक्षकों व प्रोफेसरों की संख्या बेहद कम होने के चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
एक छात्र दिलीप कुमार ने बताया कि एम्स दिल्ली में ऑप्टोमेट्री कोर्स का एकेडमिक कैडर ही नहीं है जिसकी वजह से हमें अक्सर नॉन एकेडमिक शिक्षकों से पढ़ना पड़ता है। जबकि बाकी अन्य विषयों के एकेडमिक कैडर मौजूद हैं। वहीं, छात्र रामलखन मीणा ने एम्स प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, एमबीबीएस यूजी छात्रों को दाखिले के पहले ही दिन हॉस्टल आवंटित कर दिया जाता है। मगर, हमें दाखिला लेने के अरसे बाद भी हॉस्टल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रशासन ने अनजान कारणों से हमारे कोर्स के छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधा समाप्त कर दी है। इससे महिला छात्रों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
एक अन्य छात्र उज्जवल कुमार ने कहा कि अगर बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री के लिए अलग कॉलेज बन जाता है तो हमें हॉस्टल, करिकुलम, एकेडमिक कैडर की सुविधा स्वयमेव प्राप्त हो जाएगी। उक्त समस्याओं के चलते 100 से ज्यादा छात्रों के प्रोफेशन और व्यक्तिगत जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। इससे कई छात्र अवसाद में आ गए हैं। उधर, एम्स के स्थापना दिवस पर बुधवार को एम्स पहुंचे स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रताप राव जाधव से छात्रों ने मुलाकात की और उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। मंत्री ने छात्रों को भरोसा दिया कि स्वास्थ्य मंत्रालय उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगा और जल्द ही समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा।