
नई दिल्ली, 8 अगस्त : केंद्र सरकार ने विदेशों से आयात की जाने वाली कुछ दवाओं को टेस्ट और क्लिनिकल ट्रायल से छूट दे दी है। इससे जहां यूरोपियन यूनियन सहित अन्य पश्चिमी देशों से खरीदी जाने वाली दवाओं को भारत में टेस्ट और क्लीनिकल ट्रायल की जरुरत नहीं होगी। वहीं, विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विदेशी कंपनियों की दवाएं तत्काल उपलब्ध हो सकेंगी।
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक यह छूट नई औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम, 2019 के नियम 101 के अनुसार और केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण, केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ दी गई है। यानी विदेशों में विकसित और निर्मित दवाओं का अब भारत में ब्रिज ट्रायल भी नहीं होगा। डीसीजीआई से छूट मिलने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ सहित छह प्रमुख देशों की दवा कंपनियां अपनी दवाएं भारत में क्लिनिकल ट्रायल के बिना बेच सकेंगी।
डीसीजीआई से छूट प्राप्त दवाओं की श्रेणियों में दुर्लभ बीमारियों के लिए ऑर्फन ड्रग्स या औषधियां, जीन एवं सेलुलर थेरेपी उत्पाद, महामारी की स्थिति में उपयोग की जाने वाली नई दवाएं और विशेष रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली नई दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा वे नई औषधियां जो वर्तमान मानक देखभाल की तुलना में महत्वपूर्ण चिकित्सीय प्रगति रखती हैं।
दुर्लभ बीमारी एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति होती है जिसका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है या सामान्य बीमारियों की तुलना में बहुत कम लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं। हालांकि दुर्लभ बीमारियां कम लोगों में पाई जाती हैं परंतु सामूहिक रूप से वे जनसंख्या के काफी बड़े अनुपात को प्रभावित करती हैं। 80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियां मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में 5.6 करोड़ से 7.2 करोड़ लोग दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित हैं।