धर्म

Holika Dahan 2024: होलिका राक्षसी थी, तो दहन पर क्यों पूजा जाती है? जानें इसकी कथा और महत्व।

24 मार्च 2024 को होलिका दहन किया जाएगा. ये हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. होली पर न सिर्फ रंगों का महत्व है बल्कि फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका की पूजा और फिर उसके दहन की भी विशेष मान्यता है.

पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप और होलिका ने विष्णु भक्त प्रहलाद को मारने के लिए षडयंत्र रचा था लेकिन स्वंय होलिका ही अग्नि में दहन हो गई और प्रहलाद बच गए. होलिका राक्षसी थी तो फिर होलिका की पूजा क्यों की जाती है, कैसे मिली होलिका को देवी की उपाधि जानें.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2024 Muhurat)

साल 2024 में होलिका दहन के लिए 1 घंटा 20 मिनट का शुभ मुहूर्त है. इस बार 24 मार्च को रात्रि 11.13 मिनट से देर रात 12.07 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है.

अपने बेटे को क्यों मारना चाहता था हिरण्यकश्यप (Holika Dahan Katha)

प्रह्लाद विष्णु भक्त था , जबकि हिरण्यकश्यप नहीं चाहता था कोई भगवान विष्णु की पूजा. आखिर ऐसा क्या हुआ था जो हिरण्यकश्यप विष्णु जी से घृणा करने लगा. कथा के अनुसार ऋषि कश्यप के दो पुत्र थे हरिण्याक्ष और हरिण्यकश्यप. पृथ्वी को हरिण्याक्ष से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वाराह का रूप धारण कर उसका वध कर दिया था. भाई के वध के बाद से ही हिरण्यकश्यप विष्णु जी से घृणा करने लगा. लेकिन उसके बेटे प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अटूट आस्था थी, यही वजह है कि हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मारना चाहता था.

हिरण्यकश्यप ने होलिका के साथ रचा षड़यंत्र

हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था इसलिए विष्णु पूजन करने वालों पर वो अत्याचार करता था. उनके कई बार बेटे प्रहलाद को विष्णु जी की पूजा करने से मना किया लेकिन उसके सारे प्रयास विफल रहे, दुराचारी ने प्रहलाद को मारने के लिए कई बार साजिश रची लेकिन हर बार वो नाकाम हुआ. ऐसे में उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लिया. होलिका को वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बांका नहीं कर पाएगी. ऐसे में वह प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका दहन हो गई.

होलिका की पूजा क्यों होती है?

धार्मिक मान्यता अनुसार होलिका असल मे एक देवी थी. ऋषि के दिए श्राप के कारण वह राक्षसी बन गई थी लेकिन अपने भतीजे प्रहलाद के साथ आग में बैठने के बाद उसकी मृत्यु हो गई और आग में जलने के कारण वह शुद्ध भी हो गई. यही कारण है कि होलिका को राक्षसी होने के बाद होलिका दहन के दिन एक देवी के रूप में पूजा जाता है.

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