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दिल्ली: संकटग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों की रक्षक बनी महिला शांति सैनिक

दिल्ली: - महिला शांति सैनिकों के आयोजित सम्मेलन में

, 24 फरवरी। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में शामिल महिला शांति सैनिकों ने ना सिर्फ रूढ़िवादिता और बाधाओं को तोड़ा है। बल्कि संकटग्रस्त क्षेत्रों में उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के साथ उन समुदायों की रक्षक बनकर उभरी हैं, जहां उन्हें शांति स्थापित करने के लिए तैनात किया गया है।

यह बातें सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने ‘वैश्विक दक्षिण से महिला शांति सैनिकों पर आयोजित सम्मेलन’ के दौरान सोमवार को मानेकशॉ सेंटर में कहीं। उन्होंने आगे कहा, ग्लोबल साउथ के प्रमुख सदस्य भारत के पास अनुभव, संसाधनों और विशेषज्ञता का खजाना है। जिससे विकासशील देशों के सामूहिक प्रयासों को सफल बनाने में मदद मिल सकती है। वहीं, उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे शांति सैनिकों का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में शांति अभियानों में महिलाओं की उभरती भूमिका का पता लगाने और इन महत्वपूर्ण मिशनों में उनकी भागीदारी बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए 35 देशों की महिला शांति सैनिकों को एक साथ लाया गया है। सम्मेलन का उद्देश्य संवाद को बढ़ावा देकर, अनुभवों को साझा करके और वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सहयोग में सुधार करके संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करना है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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