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दिल्ली में टीबी के मामले व मृत्यु दर कम करने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

-2030 तक टीबी के मामलों को 12% और मृत्यु दर को 8.5% तक कम करने का लक्ष्य

नई दिल्ली, 7 सितंबर :टीबी या ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) से बचाव में कारगर बैसिलस कैलमेट-गुएरिन वैक्सीनेशन (बीसीजी टीकाकरण) को लेकर दिल्ली सरकार ने एक अध्ययन की शुरुआत की है, जिसके तहत राजधानी के पांच जिलों में विशेष अभियान चलाया जाएगा।

इसके तहत उन व्यस्क लोगों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाएगा जिन्हें बीसीजी का टीका लग चुका है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत दिल्ली के पांच जिलों नई दिल्ली, उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण) की वयस्क आबादी पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है, जो टीबी के उच्च जोखिम वाली आबादी है। इन जिलों में लगभग 50 हजार वयस्क लाभार्थियों को बीसीजी का टीका लगाया जा चुका है।

दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की महानिदेशक डॉ वंदना बग्गा के मुताबिक पारंपरिक रूप से बीसीजी का टीका नवजात शिशुओं को लगाया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने वयस्कों को भी टीका लगाया है। अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के साथ मिलकर 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों के बीसीजी पुनः टीकाकरण पर अध्ययन किया जा रहा है।

डॉ बग्गा ने कहा कि इस अध्ययन में वयस्कों को दोबारा टीका लगाया जाएगा और देखा जाएगा कि वयस्कों, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले लोगों में टीबी के मामलों को कम करने में यह कितना सक्षम है। एक अनुमान के मुताबिक, बीसीजी का टीका टीबी के मामलों में 50 प्रतिशत प्रभावी है जिससे 2030 तक टीबी के मामलों को 12 फीसदी और मृत्यु दर को 8.5 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।

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