
नई दिल्ली, 9 अगस्त: डीआरडीओ ने सबसे हल्के फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (एफएचएपी) से युक्त बुलेटप्रूफ जैकेट (बीपीजे) विकसित किया है। इस जैकेट को दो विन्यासों में विकसित किया गया है, अर्थात इन-कंजक्शन-विद (आईसीडब्ल्यू) और स्टैंडअलोन, जिसमें एफएचएपी के विभिन्न क्षेत्रीय घनत्व हैं। यह जानकारी रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने शुक्रवार को लोकसभा में सीएम रमेश को एक लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि बुलेटप्रूफ जैकेट को डीआरडीओ परियोजना के तहत विकसित किया गया है। विकसित प्रौद्योगिकी को भारतीय उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) नीति और उत्पादन के लिए प्रक्रिया के अनुसार शुरू की गई है। यह नए डिजाइन दृष्टिकोण पर आधारित है, जहां नई प्रक्रियाओं के साथ-साथ नवीन सामग्री का उपयोग किया गया है।
यह जैकेट बीआईएस मानक 17051 की पुष्टि करता है और इसलिए, यह मध्यम आकार के लिए लगभग 10.1 किलोग्राम वजन के साथ स्तर 6 का सबसे हल्का जैकेट है, जो ऑपरेशन के दौरान पहनने की क्षमता और आराम को बढ़ाता है। इस बुलेटप्रूफ जैकेट में अन्य संबंधित विशेषताओं के साथ-साथ क्विक रिलीज़ मैकेनिज्म (क्यूआरएम) की एक अनूठी विशेषता भी है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के सैनिकों को आज की तारीख में 7.62×54 राउंड बुलेट के अधिकतम संभावित खतरे से बचाएगा।