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Bihar : मशहूर एंकर और ABP News की VP चित्रा त्रिपाठी को ‘बिहार गौरव अस्मिता अवॉर्ड’ से किया सम्मानित

पटना के ऊर्जा स्टेडियम में BITO (BIHAR INTERNATIONAL TRADE ORGANISATIONS) के द्वारा बिहार गौरव...

Bihar News : पटना के ऊर्जा स्टेडियम में BITO (BIHAR INTERNATIONAL TRADE ORGANISATIONS) के द्वारा बिहार गौरव कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें बिहार के राज्यपाल महामहिम आरिफ़ मोहम्मद ख़ान, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और 18 अलग अलग देशों में रहकर बिहार का गौरव बढ़ाने वाले BITO के सदस्य मौजूद रहे।

दो दशक से टीवी पत्रकारिता से जुड़ी हुई हैं

इस कार्यक्रम में बिहार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने, लगातार उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग करने के लिए एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर एंकर चित्रा त्रिपाठी को बिहार गौरव अस्मिता अवॉर्ड से राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने सम्मानित किया। बता दें चित्रा त्रिपाठी बीते दो दशक से टीवी पत्रकारिता से जुड़ी हुई हैं। बिहार पर की गई उनकी कवरेज अक्सर चर्चा का विषय बनती है।

चर्चाओं में रही

बिहार में बाढ़ की कवरेज, मुजफ्फरनगर बालिका गृह कांड रहा, चुनाव में बुलेट रिपोर्टर कार्यक्रम, नीतीश के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की पहली बैठक हो या नीतीश के दो साल पहले वापस NDA का हिस्सा बनना, तक़रीबन हर बड़े मुद्दे पर चित्रा ने बिहार की ज़मीन पर जाकर सवाल पूछे। चित्रा त्रिपाठी के ABP News channel पर शाम पांच बजे के ‘महादंगल’0 शो में बिहार के विषय की प्राथमिकता देखी जाती है। रात 9 बजे के कार्यक्रम ‘जनहित’ में बारीकी से राजनीतिक ख़बरों का विश्लेषण होता है।

सोशल मीडिया पर वायरल

एबीपी न्यूज़ पर हाल ही में शुरु हुआ नया कार्यक्रम ‘चर्चा विथ चित्रा’ का पहला एपिसोड बिहार की भूमि से बिहार के एक लाल के साथ प्रसारित हुआ। इस शो में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का इंटरव्यू काफ़ी चर्चित रहा और सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ। चित्रा ने बिहार के सीतामढ़ी में बाढ़ के दौरान उन्होंने केले के पेड़ के तने से बने नाव पर बैठकर गाँव के अंदर जाकर रिपोर्टिंग की थी। जिस पर सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल भी किया गया था। लेकिन टीवी पर चलने वाली रिपोर्ट के जरिए चित्रा ने देश को बताया था कि सरकारें जब अनदेखा करती हैं तो गाँव की बड़ी आबादी जो बाढ़ की वजह से बाक़ी हिस्सों से कट जाती है।

खाने पीने का सामान भी पहुँचा था

वहाँ जुगाड़ की नाव का ही सहारा रहता है। चित्रा की रिपोर्ट के अगले ही दिन गाँव वालों को असलीप नाव मिल गई थी और वो ग्रामीण जो पाँच दिनों से एक हिस्से में कैद गाँव वाले जो चूड़ा (पोहा) और चीनी से गुज़ारा कर रहे थे उन तक खाने पीने का सामान भी पहुँचा था। चित्रा त्रिपाठी की ऐसी अनगिनत स्टोरी हैं जो बिहार के मुद्दों पर आपको देखने को मिल जायेंगी। चित्रा मूलतः गोरखपुर, यूपी की रहने वाली हैं। लेकिन उनकी बचपन में परवरिश उनकी नानी धर्मधारी चौबे ने की थी। जो बिहार के गोपालगंज के कुईसा भठवां गाँव की रहने वाली थी। इसका ज़िक्र खुद चित्रा ने बिहार गौरव अस्मिता दिवस के मौक़े पर किया।

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