नई दिल्ली, 3 जुलाई : अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो को फतह करने के साथ ही भारतीय तटरक्षक बल की सर्जन कमांडर दिव्या गौतम भारत और दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उन्होंने अपनी टीम के साथ न सिर्फ 19,341 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे स्वतंत्र पर्वत किलिमंजारो की चोटी पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की है। बल्कि ऐसा करने वाली देश की पहली नौसैनिक महिला अधिकारी भी बन गईं हैं।
सर्जन कमांडर दिव्या गौतम की माउंट किलिमंजारो की सफल चढ़ाई साहस, दृढ़ संकल्प और जीवन को शानदार तरीके से जीने की भावना का प्रतीक है। यह महिलाओं की विकासवादी भूमिका को भी दर्शाता है, जो न केवल…पालने को झुला रही हैं, कार्यालयों में काम कर रही हैं…बल्कि राजपथ पर मार्च कर रही हैं, आसमान में उड़ान भर रही हैं, हथियार चला रही हैं, ऊंचे समुद्रों पर नौकायन कर रही हैं और अब पर्वत की ऊंची चोटियों पर चढ़ रही हैं।
इसके साथ ही वह भारत और दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उनकी सफलता ने इस संदेश को रेखांकित किया कि जब समर्पण और कड़ी मेहनत सर्वोपरि होती है तो उम्र कोई बाधा नहीं होती। विशिष्ट सेवा मैडल से सम्मानित सर्जन कमांडर दिव्या गौतम भारतीय नौसेना से प्रतिनियुक्ति पर भारतीय तटरक्षक मुख्यालय में चिकित्सा सेवा के प्रमुख निदेशक के रूप में तैनात हैं। उन्होंने अपने पति कमोडोर गौरव गौतम (सेवानिवृत्त) और 8 अन्य भारतीय मित्रों के साथ बीते छह जून को शिखर पर चढ़ाई की थी।
उनकी चढ़ाई मोशी में किलिमंजारो के आधार से ‘किलिमंजारो नेशनल पार्क’ के लेमोशो गेट पर लेमोशो मार्ग से शुरू हुई। वह अपनी टीम के साथ घने वर्षावनों, दलदली भूमि, हीथ और चट्टानी रास्तों से गुजरी। उनका सिद्धांत था -एक टीम एक सपना, धीरे-धीरे, बिना रुके शीर्ष पर, हकुना मटाटा! विविध जलवायु क्षेत्रों से जुड़ी शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के बावजूद सर्जन कमांडर दिव्या गौतम ने करीब 7 घंटे में बर्फ से ढकी चोटी पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की।