अरबपति महिला की गिरफ्तारी के बाद अब विदेश भागे आरोपियों की होगी धरपकड़
अरबपति महिला की गिरफ्तारी के बाद अब विदेश भागे आरोपियों की होगी धरपकड़

अमर सैनी
नोएडा। 15 हजार करोड़ रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़े मामले में थाना सेक्टर 20 पुलिस ने रविवार को कोयम्बटूर तमिलनाडु से अरबपति महिला सुगन्या को गिरफ्तार किया था। पुलिस अब इस मामले में विदेश भागे आरोपियों की धरपकड़ में जुट गई है। पुलिस इन आरोपियों को रेड कॉर्नर नोटिस पहले ही जारी कर चुकी है।
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पुलिस टीम ने रविवार को महिला को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। महिला की पहचान सुगन्या प्रभु पुत्री आर0 सुब्रह्मण्यम निवासी 29/सी 2 वेंकट रथना अपार्टमेन्ट रेस कोर्स रोड कोयम्बटूर तमिलनाडु को उसके निवास स्थान से गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले पुलिस ने 3 अरबपति कारोबारियों को गिरफ्तार किया था। तीनों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम था। तीनों कारोबारी पिछले नौ महीने से फरार थे। 10 अप्रैल को दिल्ली के तिलक नगर निवासी कारोबारी तुषार गुप्ता को उसके ऑफिस से गिरफ्तार किया गया था। नोएडा पुलिस ने साल 2023 में देशभर में चल रहे जीएसटी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था।
कई आरोपी परिवार समेत विदेश भागे
धोखाधड़ी में शामिल कई आरोपी अपने परिवार समेत विदेश भाग गए हैं। नोएडा पुलिस को सूचना मिली है कि कुछ आरोपियों ने दुबई और अन्य जगहों पर अपने ठिकाने बना रखे हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए ओपन डेटेड वारंट जारी करने की तैयारी कर रही है। रेड कॉर्नर नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है। ओपन डेटेड वारंट जारी होने के बाद नोएडा पुलिस या तो विदेश जाकर आरोपियों को गिरफ्तार करेगी या फिर इंटरपोल की मदद से वांछित आरोपियों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा। जीएसटी फर्जीवाड़े में अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों में कई कारोबारी भी शामिल हैं।
ऐसे करते थे ठगी
आरोपी देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड के डेटा के आधार पर फर्जी कंपनियां खोलते थे। ये कंपनियां और फर्म सिर्फ कागजों पर ही थीं। इसके बाद जीएसटी नंबर लेकर और फर्जी बिल बनाकर रिफंड लेते थे, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान होता था। जालसाज जीएसटी नंबर वाली फर्जी कंपनियां भी बेचते थे।